...

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काफिर दिल….
चल रे काफिर दिल मेरे,
तूँ एक बार फिर से टूट गया।
अभी तो होश में आने शुरू हुआ था,
तुझे कोई अपना बनाकर फिर से लूट गया…

क्या ख़िदमत करना तुझे महँगा पड़ गया,
हद से ज़्यादा झुकना तुझे महँगा पड़ गया।
तूँ ऐसे नहीं काफिर बना उनके लिए,
जब धोखे का ख़ंजर दिल में लग कर टूट गया…
अभी तो होश में आने शुरू हुआ था,
तुझे कोई अपना बनाकर फिर से लूट गया…

मैं काफ़ी चर्चा में साथ हुई,
जब-जब मेरी उनसे मुलाक़ात हुई…
लूटा मुझको यूँही बातों में उलझा कर,
जब-जब मेरी उनके साथ साँझी रात हुई…
“जिंद” कोई ना साथी मेरा अपना हुआ,
जब मेरी लुटती इज़्ज़त का सहारा रूठ गया…
अभी तो होश में आने शुरू हुआ था,
तुझे कोई अपना बनाकर फिर से लूट गया…

#जलते_अक्षर

© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻