...

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मेरी साँसों में ऐसे समाए हो तुम...
मेरी साँसों में ऐसे समाए हो तुम,
दिल की दुनिया में घर भी बनाए हो तुम,

देखता हूँ जिधर तुम ही दिखते उधर,
मुझ पर कैसा ये जादू चलाए हो तुम,

जो ना देखूँ तुम्हें एक पल भी अगर,
सहम जाता है दिल सिहर जाता बदन,

तुमको देखे बिना चैन आता नहीं,
दिल मेरा फिर कहीं चैन पाता नहीं,

खोजता दर - बदर मैं तुम्हें ही फिरूँ,
तेरी यादों से फिर कुछ मैं बातें करूँ,

याद करके मैं तुमको यही सोचता,
माफ़ कर दो मुझे ग़र हुई है ख़ता,

पर मुझे छोड़ कर मेरा दिल तोड़ कर,
दूर मुझसे कभी अब ना जाओगे तुम,

रूठ कर मुझसे तुम जो हुए ग़र ज़ुदा,
मर ही जाऊँगा मैं जानता है ख़ुदा...

© 💞चन्दन नाविक 'विनम्र'💞