...

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तुम्हारा इन्तज़ार....
तुम्हारे साथ जो गुज़रे हसीन लम्हे, उन्हें हम याद क्या करते?
तुम लौट कर ना आओगे कभी, अब ज़िन्दगी बर्बाद क्या करते?
वीरान खंडहर में जिसे तब्दील कर दिया तुमने बरसों पहले,
उस बिखरे हुए आशियाने को फिर आबाद क्या करते?

रास्ते भी पहचानने लगे, तुम्हारी गलियों से अब कितना गुजरते?
तुम्हारा दरवाज़ा खुला ही नहीं, घर के सामने और कितना ठहरते?
जहां आब ओ हवा भी थक गई हो तुम्हारा
इन्तज़ार करते करते,
हम तन्हा, मायूस सड़क पर खड़े खड़े सर्द आंहे क्या भरते?

धड़कने बारिश से तेज़ हुई, अब वक्त से और कितना डरते?
तुम्हारे सिवा कोई कशिश बाकी नहीं, इससे ज़्यादा प्यार क्या करते?
आकर देख लो मौत के बाद भी तुम्हारे इन्तज़ार में खुली हैं आंखे,
अब तुम ही कहो, इससे ज़्यादा तुम्हारा इन्तज़ार और क्या करते?

By Santoshi