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" नहीं होता है "
" नहीं होता है "

हर किसी के नसीब में फूलों की सेज नहीं होता है..!
हर किसी का हाथ मुलायम और मखमली बिस्तर नहीं होता है..!

हर कोई टाटा या बिरला सी क़िस्मत लेकर इस जहाँ में पैदा नहीं हुआ..!
जो नौकर चाकर नसीब में लिखवा लाएँ..!
गरीब के नसीब में दो वक्त की रोटी भी
बमुश्किल से मिल पाता है..!

उनके हथेलियों में क़िस्मत से ज्यादा तो गरीबी और संघर्ष की लकीरें खिंचा हुआ होता है..!
हर किसी को अपना ग़म ही ज्यादा एवं प्यारा लगता है..!

मेरी हथेलियां भी समय के साथ ही बहुत कठोर हो गई हैं..!
समय की मार के अनगिनत निशान हैं मेरी हथेलियों में जो सुंदरता से वंचित रह गए हैं..!

इन हथेलियों में मत ढूंढो कबूतरों के पंख सी नर्म एहसास ऐ साथी..!
कठोरता मेरे हथेलियों की तुलना में, तुम्हारी नर्म हथेलियों से भारी बहुत भारी पड़ जाएँगी..!

शायद दिल और भाषा भी मेरी, समय के साथ कहीं गुम हो चले हैं..!
ज्यादा बतियाना मुझे कभी भी भाता नहीं है, मेरी ख़ामोशी ही मेरी जुबान से ज्यादा कहती है..!

ग़र हौसला हो तो मुझे निभा लेना और नहीं तो मैं ठेंगा दिखा कर चली जाऊँगी..!
ग़र हो हिम्मत तो मुझे अपना बना कर समाज से लड़ जाना..!
तो मोहब्बत की शिद्दत जमाने को शदीद दिखा देना..!

यदि नहीं कर सको तो फ़िर कभी मेरे आसपास नहीं मंडराते हुए नज़र आना..!
पहले भी चंद सवाल किए थे मैं ने, जिसका जवाब आज तक नहीं दिया तो यहाँ पर अनेकों सवालों की फ़ेहरिस्त है और इसके जवाब की उम्मींद कैसे करूँ..?

बहुत गंभीर है हम, मुस्काना हमें बिल्कुल नहीं आता..!
कोई चुटकुले कह दे तो हँसना भी बेवकूफ़ी लगती है..!

जो इस दुनियाँ से हुआ हासिल वही मेरे जीवन का स्वभाव एवं आवरण बन गया है..!
कठोरता ही मिली मुझे मेरे नसीब में तो वही लौटा देते हैं..!
वैसे कोशिश करते हैं कि हमारे व्यवहार से किसी को ठेस नहीं पहुंचे..!

प्यार मिले, अपनापन मिले तो खुद को बदल दें हम शायद, लेकिन मदद जरूर से करनी होगी..!

मेरे इस पत्थर दिल को पिघलाने के लिए ऐ साथी जद्दोजहद तो करनी पड़ेगी..!
बहुत कुछ सामंजस्यपूर्ण आचरण मुझ से करना तो पड़ेगा..!

हमें इस दुनियाँ में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए जबर्दस्त संघर्ष करना पड़ा है..!
खुद को स्वांसें मिल सके तो उस के लिए भी जमाने से दो चार होना पड़ा है..!
अपने हक़ के लिए भी समाज से बेइंतहाई से जूझना पड़ा है..!

क्या मुझे और मेरे बिखरे अस्तित्व को कभी समेट पाओगे..?
क्या मुझे मेरे दर्द से छुटकारा दिला पाओगे अपना ग़म भुला कर..?
क्या मेरे जख़्मों पर अपनेपन की मरहम भी लगा पाओगे..?

क्या मेरे अतीत के बारे में जानें बिना और मेरे जख़्मों को क़ुरेदे बिना ही उन्हें भर पाओगे..!
जवाब दे पाओगे मुझे ऐ साथी..?
मुझे भी अपने अतीत से दूर ही रखना जो भी था वो गुजरे हुए पल थे..!

हमें तो आज से और भावी जीवन से संबंध है..!
भूतकाल को दफ़न करने में सक्षम हो तो हम दोनों के वास्ते खुशियाँ लेते आना..!
बहुत सारा आंचल में सुक़ून हमारे लिए लेते आना..!


🥀 teres@lways 🥀