शादी या आजादी
एक समस्या ये कि शादी हो गई
तेरी आजादी भी आधी हो गई।
हूँ मानता पत्नी मिली है भैस सी।
पर साथ में तुमको मिला है ऐश भी।
उठते सुबह ही बेड टी मिलती तुम्हें
वो लंच भी है पैक कर देती तुम्हें।
ऊपर से देती ढेर सारा प्यार है,
तो फिर तुम्हें किस बात की दरकार है ?
फिर शौख ये तुमपर कहो कैसा चढ़ा,
तुम चाहते बाहर की कोई अप्सरा।
जो सामने थिरके तेरे बेशर्म सी,
अधनग्न हो घूमे न आए शर्म भी।
क्लब-पब मे उसके पीछे पीछे जाएगा
धन खर्च कर कुत्ते सा दम हिलाएगा।
पर ध्यान रख धन खर्च जिस दिन हो...
तेरी आजादी भी आधी हो गई।
हूँ मानता पत्नी मिली है भैस सी।
पर साथ में तुमको मिला है ऐश भी।
उठते सुबह ही बेड टी मिलती तुम्हें
वो लंच भी है पैक कर देती तुम्हें।
ऊपर से देती ढेर सारा प्यार है,
तो फिर तुम्हें किस बात की दरकार है ?
फिर शौख ये तुमपर कहो कैसा चढ़ा,
तुम चाहते बाहर की कोई अप्सरा।
जो सामने थिरके तेरे बेशर्म सी,
अधनग्न हो घूमे न आए शर्म भी।
क्लब-पब मे उसके पीछे पीछे जाएगा
धन खर्च कर कुत्ते सा दम हिलाएगा।
पर ध्यान रख धन खर्च जिस दिन हो...