...

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मैं स्त्री हूं!!
मैं स्त्री हूँ !
सहती हूँ
तभी तो तुम कर पाते हो गर्व
अपने पुरूष होने पर

मैं झुकती हूँ !
तभी तो ऊँचा उठ पाता है
तुम्हारे अंहकार का आकाश।

मैं सिसकती हूँ !
तभी तुम कर पाते हो खुलकर अट्टहास....

हूँ व्यवस्थित मैं
इसलिए तुम रहते हो अस्त व्यस्त।

मैं मर्यादित हूँ
इसीलिए तुम लाँघ जाते हो सारी सीमायें।

स्त्री...