...

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"जुदाई "
हर रात आपकी यादों में गुज़रती है,
तनहाइयाँ हमें काटने को दौड़ती है।
खुशबू में तेरी साँसों की,
गुजारे ओ पल याद आते है।
तेरी पलकों के आँचल तले बीताये,
ओ दिन फिर से सताते है।
काश कि ये मौसम फिर से,
ओ बहार लाए ,
रुकी हुई ये जिंदगी,
तेरी आग़ोश में समां जाये।
ना जाने क्यों रूठी हुई है कुदरत हमसे,
जो इतना कड़ा इम्तिहान ले रही है।
सजा ये मोहब्बत की,
क्यों किसी बेगुनाह को दे रही है।
हमें मालूम है,
वो पल वो दिन वो रातें,
फिर से लौट आयेगी।
आगे की ये सारी जिंदगी,
तेरी बाहों मे गुजर जायेगी।


-शिवाजी