कुछ ऐसी अपनी कहानी रही
न सुनाने को वो पुराना किस्सा रहा
न अब कोई दिलचस्प कहानी रही
न रहे तुम बेताब से आशिक वहीं
न अब मैं वही दीवानी रही।।
कुछ अरसे चली, फ़िर गुम हो गई
वो जन्नत की सी आदतें जाने कहाँ खो गई
रहा पास अपने तो बस वो ख़्वाब देखते रहने का अहसास
अब तो न ख़्याल बचे न याद कोई शायरी मुहज़ुबानी रही
जगह बदला, ख्वाहिशें बदली बदल गई मिलने की वजह भी
लग रहा मिल चुकी हूँ इस कायनात से कभी पहले भी
पर अपनेपन का कोई अहसास नहीं शायद ये मंज़र भी नहीं पुरानी रही।।
कुछ बेख्याल सी आंखें कुछ अनकही सी खामोशी
कुछ सर्द हवा इन रातों की
कुछ याद आता वो बचपन का सफ़र कुछ आवाज़ उन बीते बातों की
रह रह के रूह को छूती तो है लेकिन अब अब...
न अब कोई दिलचस्प कहानी रही
न रहे तुम बेताब से आशिक वहीं
न अब मैं वही दीवानी रही।।
कुछ अरसे चली, फ़िर गुम हो गई
वो जन्नत की सी आदतें जाने कहाँ खो गई
रहा पास अपने तो बस वो ख़्वाब देखते रहने का अहसास
अब तो न ख़्याल बचे न याद कोई शायरी मुहज़ुबानी रही
जगह बदला, ख्वाहिशें बदली बदल गई मिलने की वजह भी
लग रहा मिल चुकी हूँ इस कायनात से कभी पहले भी
पर अपनेपन का कोई अहसास नहीं शायद ये मंज़र भी नहीं पुरानी रही।।
कुछ बेख्याल सी आंखें कुछ अनकही सी खामोशी
कुछ सर्द हवा इन रातों की
कुछ याद आता वो बचपन का सफ़र कुछ आवाज़ उन बीते बातों की
रह रह के रूह को छूती तो है लेकिन अब अब...