...

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कोई होता
कोई तो होता कहीं तो होता
जो प्यार से पूंछ लेता
मेरा नाम
जो प्यार से पूंछ लेता
कैसे हो
मुद्दत हुई मिले बिछड़े
जो पूंछ लेता
गुल कैसे हैं गुलों के मकां कैसे हैं
ओ तनहाईयों के शहर कैसे हैं
कोई तो होता
जो दिल का सारा दर्द समेट लेता
कोई तो होता
जो जिंदगी के अंधेरों को रोशन कर देता
कोई तो होता
जो बेरंग जिंदगी में रंग भर देता
कोई तो होता जिसके होने से
सुबह सुहानी होती और शाम मस्तानी

© सरिता अग्रवाल