...

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***हक़ीक़त से दूर ***
हक़ीक़त से दूर ,एक छोटा सा जहां हो,
इस दिल की सारी ही , उमंगे जवाँ हो,

मिलकर सजायेंगे हम,वो प्यार का जहां,
प्रेम ,त्याग ,समर्पण , सब कुछ यहां हो,

तुझ संग जो उल्फ़त की डोर बाँधी है,
इससे मजबूत न कोई ,बन्धन बंधा हो,

देख देख ख़ुश हो , ये फ़लक़ के सितारें,
ग़म का हर हिस्सा ,ज़िन्दगी से रवाँ हो,

सिर्फ प्यार ही प्यार हो ,उस दुनिया में,
न मैं तुझसे रूठूँ , न तू मुझसे ख़फ़ा हो।।

-पूनम आत्रेय