...

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ख्वाब रह जायेगा
भुला के सभी सिकवे गिले, उर से नहीं कल्ब से मिलो,
वक्त का काफिला गुजरेगा और फक्त शिगाफ रह जायेगा।।

जमाने की भीड़ में मायावियो का डेरा हैं,अपने नक्श में नहीं आता,आइना दिखाओ तो नकाब रह जायेगा।।

कसूर किसका हैं जानिब ,कराबत के दरमिया, झमेले में,
छूट जायेंगे सभी संगी साथी धीरे धीरे,एक तो काया दुजा फक्त कसाब रह जायेगा।।

बचपन और मदहोश कभी जूठ नहीं हो सकता,
अदब से पूछो तो सही तनिक,अश्क बह जाएगा और फक्त शराब रह जायेगा ।।

अरमानों के गुलदस्ते तो हैं,हर किसी के जहन में,पर कोई अमल नहीं करता,
हौसला करने से हासिल होगा,"शायर"निरंतर
वरना फक्त ख्वाब रह जायेगा।।
स्वरचित रचना
by yyours fellow