"बेआवाज़ गुस्सा",,,
क्यों ये मेरा "गुस्सा"
आंखों से आंसू बन के बह रहा,
ये क्यों नहीं चीख रहा,
क्यों नहीं चिल्ला रहा
क्यों ये घबराता है कुछ कहने से,,
क्या लफ्जों में ढलने से कतराता है,,
क्यों सिमट गया ये खामोशी के साये में,
क्या थकता नहीं ये खामोश रहके,
क्या इसे इस खामोशी में घुटन नहीं होती,
या यही इसकी पहचान बन गई,,
हर अहसास जो जाहिर कर...
आंखों से आंसू बन के बह रहा,
ये क्यों नहीं चीख रहा,
क्यों नहीं चिल्ला रहा
क्यों ये घबराता है कुछ कहने से,,
क्या लफ्जों में ढलने से कतराता है,,
क्यों सिमट गया ये खामोशी के साये में,
क्या थकता नहीं ये खामोश रहके,
क्या इसे इस खामोशी में घुटन नहीं होती,
या यही इसकी पहचान बन गई,,
हर अहसास जो जाहिर कर...