...

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बिखरे हुए घरौंदे को सजाना है...
अब समेटना है हमें
कुछ गुजरी हुई यादों को
फिर उन यादों से अपने
बिखरे हुए घरौंदे को सजाना है..
भरना है आँखों में
बीती हुई खुशियों को और
फिर सारे अधूरे सपनों को आँखों मे सजाना है...
अपने बीच के हर काँटों को अब
बना कर फूल खिलाना है
उन फूलों की खुशबु से अब तेरा मन महकना है
उस महकते मन में खुद के लिए थोड़ा सा जगह बनाना है...
थी कमियाँ मुझमे मानता हूँ
जो तेरे चाहत को ना समझ पाया,
अब तेरे प्यार की रौशनी में मुझे
डूबा के खुद को चमकाना है...
तेरे प्यार की खुशबु महके मेरी साँसों में,
तेरी रूह को खुद मे समाना है,
हूँ मै अधूरा तुम बिन,
अब तेरा साया बन जाना है..
अब समेटना है हमें
कुछ गुजरी हुई यादों को,
फिर उन यादों से अपने
बिखरे हुए घरौंदे को सजाना है_!!
© दीपक