...

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भ्रम
दिखाते हो प्रेम ज्यादा ,
मन में होता है नीचा दिखाने का इरादा।

रहते हो मेरे साथ,
मेरी ही करते हो पीठ पीछे बात।

सलाह देते हो ढेर सारी,
मुकर जाते हो जब आती बारी।

बोलते हो शुभचिंतक हो मेरे,
नहीं दिखते हैं ऐसे गुण तेरे।

कहते हो मेरी सोच छोटी,
मेरे लिए तेरा मन हैं खोटी।

गलतफहमियां बढ़ाने में तुम हो होशियार,
मैं ही हमेशा बनती हूं तुम्हारा शिकार।


—अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी –

© Ankita