व्याकुल मन के श्लोक
पल-पल
छिन-छिन
व्याकुल मन
हृदय वेदना
व्यथित तन
उमड़-घुमड़
उभरे संसय
अतिथि देवो
खातिर कुछ
वक़्त संचय
भयी भोर सुहानी
दोपहर अंजानी
गया गदवेरा
बिती रात
बेगानी
शनै-शनै
बिते दिन...
छिन-छिन
व्याकुल मन
हृदय वेदना
व्यथित तन
उमड़-घुमड़
उभरे संसय
अतिथि देवो
खातिर कुछ
वक़्त संचय
भयी भोर सुहानी
दोपहर अंजानी
गया गदवेरा
बिती रात
बेगानी
शनै-शनै
बिते दिन...