आदमी है
आदमी है
आदमी है, बस नाम का,
भीतर से खाली, दिखावे का।
मिट्टी से बना, माटी का तन,
फिर भी अहंकार, जैसे अमर धन।
हाथ में है चाँद पकड़ने का हुनर,
पर भूल गया दिल के सागर।
दुनिया सजाई,...
आदमी है, बस नाम का,
भीतर से खाली, दिखावे का।
मिट्टी से बना, माटी का तन,
फिर भी अहंकार, जैसे अमर धन।
हाथ में है चाँद पकड़ने का हुनर,
पर भूल गया दिल के सागर।
दुनिया सजाई,...