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ये कैसा इश्क़..!
वो दूसरे के होकर,
अपनी खुशी का ठिकाना ढूंढते गए..!
हम सच जान कर भी
अपनी आंखें मूंदते गए..!
झूठी चाहत थी उनके दिल में,
हम सब जानते थे..!
वो गैरों पर थे मरते, लेकिन
हम फिर भी अपना मानते थे.!
धोखा देने की तरकीब
क्या खूब लगाए रखते थे..!
दिखावा हमसे करते, पर
नयन कहीं और लड़ाए रखते थे.!
चलो प्यार का किस्सा आज हम,
खत्म ही कर देते हैं..!
जुदा होने की शपथ आज हम
सरे आम ही लेते हैं..!
© deep_k_lafz
अपनी खुशी का ठिकाना ढूंढते गए..!
हम सच जान कर भी
अपनी आंखें मूंदते गए..!
झूठी चाहत थी उनके दिल में,
हम सब जानते थे..!
वो गैरों पर थे मरते, लेकिन
हम फिर भी अपना मानते थे.!
धोखा देने की तरकीब
क्या खूब लगाए रखते थे..!
दिखावा हमसे करते, पर
नयन कहीं और लड़ाए रखते थे.!
चलो प्यार का किस्सा आज हम,
खत्म ही कर देते हैं..!
जुदा होने की शपथ आज हम
सरे आम ही लेते हैं..!
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