"स्त्री"
"एक अनोखा सृजन धरा पर
स्त्री शब्द भी अद्भुत है,
आसमान जैसै टिका धरा पर
पुरुष को थामे स्त्री खड़ी है!
"अलग-अलग किरदार में
अमृत कलश छलकाती,
आंचल से दुग्ध जीवन का
अधरों से मधुशाला बरसाती!
"नव-जीवन की श्रोत वह
करती धरा को पावन है,
केकैई सा तेज मस्तक पर
विजय युद्ध में निश्चित है!
"पथरीली कंटक राहों पर
राम सा जँहा कर्त्तव्य है,
सीता सा हो धैर्य मन में
फिर प्रेम कँहा...