...

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उसके शहर से जब गुज़रो सारिम उसे आवाज़ देना
मेरी तारीफ मत करो मुझ मे बहुत बुराई है
यूँही तो नहीं ये दर्द ऐ ज़िन्दगी और रुसवाई है

बहुत छोटे छोटे कंकर निकाले है खुद से
शमशीर अभी बाकी है उसकी ज़्यादा गहरायी है

एक पहाड़ बराबर बोझ है इस दिल पर कब से
इसलिए मेरे वजूद मे अब तक कम तवानाई है

खुशियां ज़िन्दगी और खवाहिशे बाँट दी
और यहाँ लोग ऐसे हैं कहते हैं बहुत महंगाई है

उसके शहर से जब गुज़रो सारिम आवाज़ देना
सुना है अब भी उसमें उतनी ही रानाई है

© Sarim