...

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…***चलो नई शुरुवात करते हैं***...
माना काफ़ी थक चुके हो तुम मेरे दिल,
थोड़ा और चलो अब पास ही है मंज़िल

जो भी हुईं गलतियां तुमसे,
चलो उनसे कुछ सीखते है
और जो खाए धोखे तुमने अपनों से,
अब उन्हें भूलते है ।

बीता पल जो भी था जैसा भी था,
उन्हें पीछे छोड़ आगे निकलते है ...
ज़िंदगी ख़त्म तो नहीं हुई ना रोहित
चलो फिर से "एक नई शुरुवात करते हैं"

खुद को अब इस नई दुनिया से जोड़ते है
और इस अनजान राहों पे मिलेंगे मुझे अपने,
........................ अब इस भ्रम को तोड़ते हैं।

बुरे वक्त में जो साथ थे ,
उन्हें अपने दिल के पास रखते है
अब झूठे लोगों से नहीं कोई आस रखते हैं।

माना नहीं पाया तुमने अब तक मंज़िल,
उस मंज़िल की तलाश में फिर से एक बार निकलते है

चलो "एक नई शुरुवात करते हैं।"
चलो "एक नई शुरुवात करते हैं।"


© .......HR_writes✍️








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