...

10 views

बात आधी रही फ़साने में.........✍🏻
फ़ा इ ला तुन / मु फ़ा इ लुन / फ़े लुन।
2 1 2 2 / 1 2 1 2 / 2 2

रदीफ़ :- में
क़्वाफ़ी :- बहाने, ज़माने, निशाने, फ़साने, आदि
--- --- --- --- --- --- --- --- --- --- --- --- ---
बात होती कहां बहाने में
आज़माते नहीं ज़माने में
मुश्किलों की हदें छुपानी है
वो फ़लाने कहाँ निशाने में

वो कहानी ऐसे जलानी है
बात आधी रही फ़साने में
कौन-जाने तेरे मिज़ाजो को
इश्क़ होता नहीं कमाने में

गुनगुनाने लगें सभी गाने
राज़दारों नहीं छुपाने में
हाल पूछा करों निगहबानी
बात होती नहीं न ताने में

हर तरफ़ ढलान राहों की
वो तमाशा सही रुलाने में
देख लो एक दफ़ा मय-खाने
कुछ है दिल-नशीं निशाने में

इश्क़ यूं इंतिहा दिखाती है
पर्दा-नशीं वहीं वीराने में
प्रश्न उठ गया लबों पे यूं
ज़ाहिकाना नहीं जमाने में

{ज़ाहिकाना :- हँसाने वाला}

© Ritu Yadav
@My_Word_My_Quotes