...

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जख्म
हमें शौक नहीं

जख्म दिखाने का

खुद रुठ जाने

या उनको मनाने का !

वीती है ता-उम्र

कुछ राज को छिपाने में

या कुछ दर्द को पी जाने में !

अब क्या फ़ल-सफ़ा लिखूँ

उनके वावफा से बेवफा हो जाने का

या मेरी जिंदगी को चुराने का !!




© रविन्द्र "समय"