कातिल
इश्क़ बंदूक है फूलो की
इसमें गोलियां उसकी आंखे है
मुस्कुराहट कत्ल करती है उसकी
मोहब्बत करने वालो का
जुल्फें घायल करती हैं जब वो
चोटी कमर तक बांधे है।
मैं हु की तलबगार हूं उसकी मोहब्बत का
वो है की उसको मुझपर तरस भी न आए है।।
© सियाह
इसमें गोलियां उसकी आंखे है
मुस्कुराहट कत्ल करती है उसकी
मोहब्बत करने वालो का
जुल्फें घायल करती हैं जब वो
चोटी कमर तक बांधे है।
मैं हु की तलबगार हूं उसकी मोहब्बत का
वो है की उसको मुझपर तरस भी न आए है।।
© सियाह
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