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महिलाओं के छोटे कपड़े
महिलाओं को छोटे कपड़े में देखकर कौन मजे लेता है,??....

एक दिन किसी ख़ास अवसर पर महिला सभा का आयोजन किया गया, सभा स्थल पर महिलाओं की संख्या अधिक और पुरुषों की कम थी..!!
मंच पर तकरीबन 27 वर्षीय खुबसूरत युवती, जीन्स, टीशर्ट पहनकर हाथ में माइक पकड़कर पूरे पुरुष समाज को कोष रही थी।

वही पुरानी घिसी-पिटी बाते.... कम और छोटे कपड़ों को सही ठहराना, और कुछ भी पहनने की स्वतंत्रता का पक्ष रखते हुए पुरुषों की गन्दी सोच और गन्दी नीयत का दोष दे रही थी।

तभी बीच में अचानक सभा स्थल से...तकरीबन बत्तीय वर्षीय सभ्य, शालीन और आकर्षक से दिखते युवक ने खड़े होकर अपने भी विचार प्रकट करने की अनुमति मांगी..!!

उसकी अनुमति स्वीकार कर माइक को उसके हाथों मे सौप दिया गया .... हाथ में माइक आते ही उसने बोलना शुरु किया..!!

माताओं, बहनों और भाइयों, मैं आप सबको नही जानता और न ही आप जानते हैं कि आखिर मैं कैसा इंसान हूं..??

लेकिन कपड़े पहनने के ढंग और शक्ल सूरत से मैं आप सबको कैसा लग रहा हूँ सभ्य या असभ्य..??

सभास्थल से बहुत सारे लोग एक साथ बोले... कपड़े पहनने और बातचीत के ढंग से तो आप सभ्य दिखाई दे रहे हो...

बस अपने आपको सभ्य सुनकर ही अचानक उसने अजीबोगरीब हरकत कर डाली... सिर्फ हाफ चण्डा छोड़कर बाकी कपड़े उतारकर फेंकर दिए।

उसको ऐसा देख कर .... पूरा सभास्थल चिल्लाने लगा मारो साले को, कितना बत्तमीज आदमी है, बेशर्म है, इसको पुलिस के हवाले कर दो, औरतों के सामने कैसे रहा जाता है इसको ये तक नहीं पता।
अपने विषय में ऐसे शब्द सुनकर ... अचानक वो माइक पर चिल्लाने लगा.

रुको... कुछ भी करने से पहले मेरी बात सुन लो, फिर जो चाहे कर लेना मैं मना नहीं करूंगा, चाहे तो मुझे जिंदा जला भी देना..!!

अभी थोड़ी देर पहले तो....ये बहन जी कम, छोटे-छोटे कपड़ों की वकालत कर रही थी स्वतंत्रता की दुहाई देकर लोगो की नीयत और छोटी सोंच को जिम्मेदार बता रही थी। अब अचानक क्या हुआ अब आपकी सोंच छोटी हो गयी क्या?

तब तो आप सभी तालियां बजा-बजाकर अपनी सहमति जता रहे थे..फिर मैंने ऐसा क्या कर दिया हैै..??

सिर्फ अपनी भी कपड़ों की स्वतंत्रता ही तो दिखलायी है..!!

नीयत और सोच की खोट तो नहीं ना और फिर मैने तो, आप लोगों को... मां बहन और भाई भी कहकर ही संबोधित किया था..फिर मेरे अर्द्ध नग्न होते ही.... आप में से किसी को भी मुझमें भाई और बेटा क्यों नहीं नजर आया..??

मेरी नीयत में आप लोगों को खोट कैसे नजर आ गया..??

मुझमें आपको सिर्फ मर्द ही क्यों नजर आया? भाई, बेटा, दोस्त क्यों नहीं नजर आया? आप में से तो किसी की सोच और नीयत भी खोटी नहीं थी... फिर ऐसा क्यों??

सच तो यही है कि..... झूठ बोलते हैं लोग कि...
वेशभूषा और पहनावे से कोई फर्क नहीं पड़ता

हकीकत तो यही है कि मानवीय स्वभाव है कि किसी को सरेआम बिना कपड़े के देख लें तो कामुकता जागती है मन में...

रूप, रस, शब्द, गन्ध, स्पर्श ये बहुत प्रभावशाली कारक हैं इनके प्रभाव से “विश्वामित्र” जैसे मुनि के मस्तिष्क में विकार पैदा हो गया था..जबकि उन्होंने सिर्फ रूप कारक के दर्शन किये..आम मनुष्यों की विसात कहाँ..??

दुर्गा शप्तशती के देव्या कवच में श्लोक 38 में भगवती से इन्हीं कारकों से रक्षा करने की प्रार्थना की गई है..
“रुरसे-रुपे-च-गन्धे-च-शब्दे-स्पर्शे-च-योगिनी।
रुसत्त्वं-रजस्तमश्चौव-रक्षेन्नारायणी-सदा।।”
रस रूप गंध शब्द स्पर्श इन विषयों का अनुभव करते समय योगिनी देवी रक्षा करें तथा सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण की रक्षा नारायणी देवी करें.!!

बहुत से घरों में बेटियों को छोटे कपड़ो में देख कर मां बाप अपनी शान समझते हैं कि कितनी मार्डन है हमारी लाडली

आज के समाज की सोच ये है कि अपने घर की बेटियां अपने बदन को ढके या ना ढके लेकिन बहु मुंह छिपाकर घुंघट में रहनी चाहिए आज के समाज में बदन ढकना जरूरी नहीं पर मुंह ढकना जरूरी है।
आज के समाज में घूंघट के लिए कोई जगह नहीं है वैसे ही इन अर्ध नग्न वस्त्रों के लिए भी कोई जगह नहीं है
© Thakur