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जन्नत "माँ"
कहने को तो हर कोई कहता है कि हमारी माँ हमे खुद से भी ज्यादा प्यार करती है ।
पर कभी आपने ये भी जानने की कोशिश की है कि हम उसे कितना प्यार करते है ।
जो तुम्हे खाना खिलाकर खुद भूखी सो जाती है ।क्या तुमने कभी पलटकर पुछा है, कि माँ तुने भी खाना खा लिया या नही ।
मैं तो बस ये बताना चाहती हूँ ,कि माँ के साथ कुछ पल बिता लिया करो ।
क्योकि उसकी जान और जहान उसके बच्चे ही होते है ।तो हमारा भी कर्तव्य बनता है ।कि थोडा ही सही पर कुछ पल हमे माँ के साथ भी बिताने चाहिए ।।एक वो ही तो है जो बिन बोले सब समझ जाती है ।वो तुम्हारी खुशियो के लिए अपनी खुशी दाव पर लगा देती है ।ओर बदले में उसे क्या मिलता है कि बेटे की नौकरी लग गयी माँ मैं जा रहा हूँ दुसरे शहर कह कर चले जाते है ।

© "अभिलाषा"खरे"