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उड़ान
तारीख़ - १८ अगस्त समय - १४:५६

ये तारीख़ और ये समय मेरी ज़िन्दगी पलटने वाला था, ये खबर मुझे कहां थी। कुछ अनकही सी घटना घाटी थी मेरे साथ इस समय। एक ऐसी घटना जिसके बारे में मैंने कभी सोचा ही ना था। सिर्फ फिल्मों कहानियों में ही ऐसा होते देखा था। कुछ हैरान थी मै इस समय।
हुआ कुछ यूं था कि मै अपने कमरे में बैठी पढ़ाई कर रही थी कि तभी पापा ने मुझे आवाज दी। उस समय किसी बात से गुस्सा थी मै तो कुछ झुंझलाते हुए उठी, जिसकी वजह से मेज पर रखा मेरा सबसे प्रिय गुलदस्ता मेज से फिसल कर टूट गया और उसका टूटा कांच का टुकड़ा मेरे पैर में चुभ गया।
पापा ने दुबारा आवाज दी तो मै बिना किसी चीज की परवाह किए दौड़कर आंगन में आ गई।
पापा झूले पर बैठे चश्मा लगाकर अखबार पढ़ रहे थे, मम्मी अपनी सफाई में लगी थी और छोटा भाई अपनी किताबों पर जिलत चढ़ाने में लगा था और दादी हमेशा की ही तरह अपनी पूजा में व्यस्त थी।
पापा ने एक नज़र मुझपर डाली और बैठने का इशारा किया। तब पापा ने एक कागज़ का टुकड़ा मेरी तरफ बढ़ाया और उसे पढ़ने के लिए कहा।
मैंने वो कागज़ खोला और उसे पढ़कर मै दंग रह गई।
"एडमिशन फॉर्म!" मैंने धीरे से कहा और नज़र उठा कर देखा तो मम्मी और भाई मेरे पास ही खड़े थे।
उस समय मै खुश थी है हैरान ये मै खुद जान नहीं पा रही थी। पापा की आंखों की चमक मुझे ये एहसास करा रही थी कि अब मेरे सपनों को एक उड़ान मिल चुकी है। ये आसमान मेरा है और बस मुझे पंख फैला कर एक "लम्बी उड़ान" भरनी है।
© unnati