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पिंजरा ( कहानी )
दुल्हन ने एक कदम आगे बढाया और अपने ससुराल मे प्रवेश किया । यह घर उसके सपनों के राजकुमार का था या फिल्मी दुनिया की भाषा मे उसके हीरो का था । लेकिन यह घर किसी फिल्मी दुनिया जैसा नही था । और न ही किसी बड़े साहूकार के बड़े घर जैसा था । यह तो एक मध्यम वर्गीय परिवार का छोटा सा घर था लेकिन उस शहर की एक गगनचुम्बी इमारत मे था । श्रुति की खुशियाँ अपार्टमेंट मे शादी होने से कम न हुई थी जिसकी एक वजह शयद ये थी कि वह एक छोटे से गाँव से ब्याह कर आयी थी । हर लड़की की तरह श्रुति ने भी शादी के सपने संजोये थे । सिर्फ पुरुष को ही नही स्त्रियों को भी भगवान ने यह अधिकार दिया है कि वह शादी के या मीठी सुहागरात के खवाबों को देख सकती है । न जाने सुहागरात को ही क्यो उसे ऐसा लगा कि उसका पति जैसे बोलता कम और भाषण ज्यादा देता है लेकिन उसके भाषण क्या श्रुति कि खुशियों को कम कर सकते थे । इसका उतर बिलकुल नही मे था ।
श्रुति मारवाड़ी परिवार से थी और उनमें ज्यादातर सयुक्त परिवार का चलन होता है । इसमे बड़े परिवार मे भी लोग प्रेमपूर्वक रहते हैं । श्रुति का विवाह भी ऐसे परिवार मे हुआ था जहाँ परिवार के सदस्यों की संख्या बहुत अधिक थी । उसकी तीन ननद थी । और चार देवर थे । उसका पति अपने भाईयों मे सबसे बड़ा था। श्रुति के लंबे केश उसकी कमर तक आते थे जो साधारण कठ काठी वाली श्रुति की सुन्दरता को बहुत बड़ा देते थे वैसे वो स्वभाव से बहुत चंचल और बहुत गुणवन्ती थी । उसका पति राकेश दिखने मे साधरण था । कुल मिलाकर दोनों पति पत्नी की जोडी अच्छी दिखतीं थी ।...