"रूपाली"
ये कहानी चित्तौड़गढ़ की रानी रूपाली की है। राजा वीरभद्र की सबसे छोटी रानी की। कहानी की शुरुआत चैताली नामक एक छोटे से राज्य से शुरू होती है। महराज दिशाराज और मेनका के चार पुत्र के पश्चात उनको एक सुंदर कन्या की प्राप्ति हुई, दोनों ने अति रूपमती अपनी पुत्री का नाम रूपाली रखा। रूपाली का अनिघ्ध सौन्दर्य बहुत ही मोहक था।शनै: शनै: समय गुजरता रहा और रूपाली ने अपने युवावस्था में कदम रखा। देखते ही देखते उसके रूप की चर्चा चैताली राज्य से बाहर भी होने लगी।
एक बार महराज वीरभद्र आखेट पर निकले तो भटकते भटकते काफी दूर निकल गये। हारकर उन्हें एक कृषक के घर शरणं लेनी पड़ी। सुबह भोर को ही वो अपने घोड़े पर सवार होकर निकल पड़े। मार्ग पर ही उन्हें एक मंदिर दिखाई पड़ा तो वो दर्शन के लिए चल पड़े। मंदिर...
एक बार महराज वीरभद्र आखेट पर निकले तो भटकते भटकते काफी दूर निकल गये। हारकर उन्हें एक कृषक के घर शरणं लेनी पड़ी। सुबह भोर को ही वो अपने घोड़े पर सवार होकर निकल पड़े। मार्ग पर ही उन्हें एक मंदिर दिखाई पड़ा तो वो दर्शन के लिए चल पड़े। मंदिर...