मंदिर चाहिए या रोजगार
इस प्रश्न में दूषित मानसिकता छिपी है।
लेकिन क्या इसका उत्तर वही है, जो हम दे रहे है।
पिछले दिनों मैं अपने #परिवार के साथ #मंदिर गया ।
पूजा से पहले दुकान से प्रसाद लिया ,
चढ़ाने के लिए माला ली ।
हम तो तुरंत दर्शन कर लिये ,
बाकी लोग विधि विधान के साथ पूजा पाठ कर रहे थे।
जिज्ञासु प्रवृत्ति से मैं मंदिर के चारों तरफ घूमने लगा।
हर दुकान ,
हर ठेलिया को देखे कौन क्या बेच रहा है।
फिर सब लोग एक जगह चाट खाये ,
एक जगह जलेबी ,
फिर एक दुकान से महिलाओं ने अपने लिए #श्रृंगार आदि के सामान लिए फिर आगे आकर सब लोग चाय पीये।
फिर अचानक ध्यान आया यह मंदिर दो से ढाई हजार लोगों को #रोजगार दे रहा है।
यह काम तो हजार करोड़ लगाकर कोई कम्पनी नहीं कर सकती है।
लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात है।
मंदिर किसको रोजगार दे रहा है !
यह वह लोग है ,
जिनके पास किसी संस्थान से डिग्री नहीं है।
इतना धन नहीं है कि कोई बड़ा निवेश कर सकें।...
लेकिन क्या इसका उत्तर वही है, जो हम दे रहे है।
पिछले दिनों मैं अपने #परिवार के साथ #मंदिर गया ।
पूजा से पहले दुकान से प्रसाद लिया ,
चढ़ाने के लिए माला ली ।
हम तो तुरंत दर्शन कर लिये ,
बाकी लोग विधि विधान के साथ पूजा पाठ कर रहे थे।
जिज्ञासु प्रवृत्ति से मैं मंदिर के चारों तरफ घूमने लगा।
हर दुकान ,
हर ठेलिया को देखे कौन क्या बेच रहा है।
फिर सब लोग एक जगह चाट खाये ,
एक जगह जलेबी ,
फिर एक दुकान से महिलाओं ने अपने लिए #श्रृंगार आदि के सामान लिए फिर आगे आकर सब लोग चाय पीये।
फिर अचानक ध्यान आया यह मंदिर दो से ढाई हजार लोगों को #रोजगार दे रहा है।
यह काम तो हजार करोड़ लगाकर कोई कम्पनी नहीं कर सकती है।
लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात है।
मंदिर किसको रोजगार दे रहा है !
यह वह लोग है ,
जिनके पास किसी संस्थान से डिग्री नहीं है।
इतना धन नहीं है कि कोई बड़ा निवेश कर सकें।...