निशब्द की कहानी
वह था एक साधारण सा इंसान, जिसका नाम भी कुछ खास नहीं था। मगर, उसकी ज़िंदगी का हर दिन कुछ ऐसा था, जिसे वो छुपाता था—अपनी तन्हाई, अपने आंसू, और अपनी खोई हुई उम्मीदें। वह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, दिनभर कोड में खोया रहता, अपनी दुनिया से बाहर की दुनिया से अजनबी।
बचपन में जब उसे सबसे ज्यादा ज़रूरत थी, जब माँ-पापा की ममता उसे चाहिए थी, वे दोनों अपने काम में खोए रहते थे। उनका प्यार कभी उसे नहीं मिला। जो कुछ भी था, वह बस पैसा था। किसी ने कभी उसकी भावनाओं को समझा नहीं। कभी माँ ने, कभी पापा ने, उसके बारे में गहरे से नहीं सोचा। बस, हर दिन वही एकांत, वही अकेलापन उसके साथ था।
इसी अकेलेपन ने उसे एक नया रूप दे दिया था। वह अब खुद को "निशब्द" कहने लगा था। उसे शब्दों की ताकत पर विश्वास नहीं था। लोग क्या कहेंगे, इसे कौन समझेगा, ये सवाल उसे परेशान नहीं करते थे। उसकी ज़िंदगी के सबसे करीबी दोस्त अब थे—कॉफी, किताबें, और सिगरेट।
एक रात, जब वह अपनी...
बचपन में जब उसे सबसे ज्यादा ज़रूरत थी, जब माँ-पापा की ममता उसे चाहिए थी, वे दोनों अपने काम में खोए रहते थे। उनका प्यार कभी उसे नहीं मिला। जो कुछ भी था, वह बस पैसा था। किसी ने कभी उसकी भावनाओं को समझा नहीं। कभी माँ ने, कभी पापा ने, उसके बारे में गहरे से नहीं सोचा। बस, हर दिन वही एकांत, वही अकेलापन उसके साथ था।
इसी अकेलेपन ने उसे एक नया रूप दे दिया था। वह अब खुद को "निशब्द" कहने लगा था। उसे शब्दों की ताकत पर विश्वास नहीं था। लोग क्या कहेंगे, इसे कौन समझेगा, ये सवाल उसे परेशान नहीं करते थे। उसकी ज़िंदगी के सबसे करीबी दोस्त अब थे—कॉफी, किताबें, और सिगरेट।
एक रात, जब वह अपनी...