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ये वफाएं मोहब्बत......💔

एक शहर में एक बेहद खूबसूरत और मशहूर तवायफ रहा करती थी,,,
उसकी खुबसूरती के बड़े चर्चे थे,,,,
एक रोज एक नौजवान शख्स ने उस की तस्वीर,,, कहीं देखी,,,
उस तवायफ की खुबसूरती ने उस नौजवान का मन मोह लिया,,
उसे,,,उससे मिलने की धुन सवार हो गई,,,
एक रोज वो छुपता छुपाता,,,
उस तवायफ के कोठे पहुंच गया,,
और दरवाजे पर खड़ा दरबान से उस तवायफ से मिलने की ज़िद करने लगा,,,,
ये तकरार की आवाज सुनकर,,,वो तवायफ भी बाहर आगई,,
और उसने दरबान से पुछा कौन है ये और क्या हो रहा है वहां,,,
दरबान ने बताया,,की,,
एक नौजवान उससे मिलने की ज़िद कररहा है,, और उसके पास कुछ खास पैसे भी नहीं है,,
तो उस तवायफ ने कहा,,, उसे कहो,,,
एक मुलाकात के दस हज़ार लेती हु कहदो,,, पैसे होतों आसकता है,,,
वर्ना,,दफा होजाऐ,,
दरबान ने जाकर उस नौजवान को ये कह दिया,,,, और दवाजा बंद कर दिया,,
वो नौजवान,,मायुस होकर लौट गया,,,
पर उसे दिन रात उसी तवायफ की याद सताने लगी ,,,वो पैसे जुटाने के तरीके सोचने लगा,,,,
उसने अपनी मोटरसाइकिल बेचकर पैसों का इंतजाम कर लिया,,, और दुसरे ही दिन वहां छुपता छुपाता पहुंच गया,, पैसे देखकर दरबान ने,,उस तवायफ को खबर की,,,,वो भी हैरान हो गई,,, और मिलने को राज़ी हो गई,,,
फिर क्या था,,, दोनों आमने-सामने हो गये,,,
उस तवायफ की खुबसुरती देखकर,,,
उस नौजवान को उससे मुहब्बत हो गई,,
और उस तवायफ को उस नौजवान की मासुमियत देखकर बहुत हैरानी हुई,,,,
वो हर रोज मिलने आने लगा,,,,,
दोनों बहुत करीब आगये,,,,
एक रोज उस नौजवान ने उस तवायफ से कहा,,मैं अब तुम्हें ऐसे नहीं रहने दुगा,,,
यहां से ले जाउंगा,,,उस तवायफ ने पुछा कहा,,,, नौजवान ने कहा अपने घर मैं तुम से शादी करूंगा,,, मैं तुम से बेहद मुहब्बत करता हु,,,, और तुम भी तो करती होना मुझसे मुहब्बत,,,, वो कुछ जवाब ना दे सकी,,,,, फिर वो नौजवान घर वापस लौट गया,,,
वो रात भर सोचती रही,,,के वो क्या करे क्या वो ये रिश्ता कबुल करले ?,,,,,,
वहां ये बात,,उस नौजवान के माता-पिता को पता चली,,, वो बहुत परेशान होंगये,, उन्होंने सोचा समाज में हम कैसे मुंह दिखाएंगे,, क्या कहेंगे सब से,,,, फिर उसके पिता ने सोचा बेटे को समझाने से अच्छा है की,,उस तवायफ को ही कुछ पैसे देकर,,, मामला रफा-दफा करदेना चाहिए,,,,उस के पिता ने नोटो से भरा बकसा लेकर छुपते छुपाते कोठे पर पहुंच गये,,,, और उस तवायफ से मिले,,, और कहा,,, तुम जिस नौजवान को बहका रहीं हों वो मेरा इकलौता बेटा है,,, उसे बक्श दो,,,, और उसके बदले में ये सारे पैसे लेलो,,, समाज में हमारी बड़ी इज्जत है,, उसे ख़राब ना करो,,,मेरा बेटा नादान है,,वो ये सब नहीं समझगा ना मानेगा,, तुम को तो बस पैसे से मतलब है ना ये लेलो,,कहो तो मैं,,सब बेचकर और लादुगा,,,पर मेरे बेटे को छोडदो,,मैं तुम्हारे पैर पड़ता हु,,, और वो रोने लगा,,,
और कहा मैंने उसकी शादी भी तैकरदि है मेरे दोस्त की बेटी है,,वो बहुत अमीर है,, और लड़की भी बहुत अच्छी है,,, उससे शादी करके,, मेरे बेटे की जिंदगी संवर जाएगी,,,,मुझ पर एहसास करो,,, मेरे बेटे को छोडदो,,, तुम से शादी करके उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी,,,,हम सब बदनाम होजाएंगे,, तुम एक तवायफ हो,,,
लोग क्या कहेंगे,, हमें तो मरना पडेगा ये जिल्लत हम कैसे बर्दाश्त करेंगे,,, और बहुत रोने लगा,,,,,उस तवायफ के भी आंखों में आसूं आगये और उसने कहा,,,
ठीक है,,, वो आज के बाद यहां कभी नहीं आ पाएगा,,,,, आप जाइए,,,,
और पैसे भी लौटा दिए,,,,, उस नौजवान के पिता,,, घर लौट गए,,
दुसरे दिन वो नौजवान,,,,उस तवायफ के पास गया,,,वो तवायफ किसी और के साथ हंस-हंस कर बातें कर रही थी,,ये देखकर,,, वो गुस्से में आग-बबूला होगया,
और कहा ये क्या हो रहा है,,,,ये कौन है,,, और यहां क्या कर रहा है,,,,,
वो बोली ये नवाब साहब है,, मुझसे मिलने आए हैं,, नौजवान ने पूछा क्यों मिलने आए हैं ये,,,,,तवायफ ने हंसकर कहा,,, इतना भी नहीं समझते तुम,,, तुम जिस लिए आए थे,,उसी लिए ये आए हैं,,,,
गुस्से में उस नौजवान ने तवायफ के गाल पर थप्पड़ लगा दिया,,,और कहा बेवफा,,,
मैंने तुझसे इतनी मुहब्बत की शादी करने वाला था,,,मगर तु,,,, बेवफा,,,अखिर तु तवायफ ही निकली,,,,,सब ठीक कहते थे,,, तवायफ,,,,, बेवफा होती है,,पर मुझे अपनी मुहब्बत पर यकीन था,,,,के वो तुम्हे बदल देगी,,,मगर तु तो तवायफ है,, ना,,,, और हर तवायफ बेवफा होती है,,,जा बेवफा निकला दिया तुझे दिल से,,, मैंने अपने माता-पिता की बात नहीं मानी,, तेरे लिए,, उन्हें रूलाया,, और तु बेवफा,,, और वहां से बदुआऐ देता चला गया,,,,
फिर वो तवायफ हंसते हंसते रो पड़ी,,,,
ये देखकर पास खड़े नवाब साहब ने पूछा,, आप क्यों रो पड़ी,,,,
उस तवायफ ने जवाब दिया क्यों कि,,
मैं भी उससे मुहब्बत करती हु,,,, और बेपनाह मोहब्बत करती हुं,,,,
तो नवाब साहब बोले तो तुम ने ये सब क्यों किया,,,क्यों शादी नहीं करली,,क्यों उससे जुठ कहा,,,,, उसने जवाब दिया की,,, क्यों की मैं भी उससे मुहब्बत करती हुं,,,,मगर मेरी मुहब्बत उसके और उसके परिवार के लिए ज़हर साबित होगी,,,, इस लिए,,,,तो नवाब साहब बोले तो तुम उसे सच भी तो कह सकती थी ना,,, तवायफ ने जबाव दिया,,,की नहीं,,,,जब हमें किसी से सच में मुहब्बत हो जाती है ना तो हम उसके लिए कुछ भी कर गुजरने को मजबूर हो जाते है,,, और वो भी यही करता,,,वो जरूर मुझ से शादी करता,,,, किसी की नहीं सुनता,, और मुझसे शादी करके उसकी जिंदगी जहन्नुम बन जाती,,,,मैं ये कैसे देख पाती,,,, क्यों की मैं भी तो उससे मुहब्बत करती हुं,,,,, और दुआओं में उसकी सलामती ही मांगती हु,,,इस लिए मैंने ये सब किया,,,, मुहब्बत जब सच में हो जाती है ना तो सिर्फ उसके बारे में खैरीयत ही मांगती है चाहे खुद को फना क्यों ना करना पड़े,,,,, मैंने भी वही किया,,,,
नवाब साहब बोले वो तो तुम्हें हमेशा बेवफा समझेगा ,,मगर,,,, और नफ़रत करेगा,,,,तो वो हंसकर बोली,,,, मुहब्बत तो हमेशा रहेगी,,, मेरे दिल में उसके लिए दुआ बनकर और उसके दिल में मेरे लिए नफरत बनकर,,,, और ये नफरत कुबुल है मुझे,,, और बात रही मुझे बेवफा कहने की तो,,,, हमने भी पहले किसी से ऐसे ही मुहब्बत की थी मगर उस बेवफा ने हमें,,,ये कोठा तोहफे में दिया,,,,,

अरे "तुम्हें क्या सुनाऐ दास्तान अपनी साहब",,
इस मुहब्बत ने भी हमें अजिब रंग है दिखाया,,
हां इसी वफ़ा के नाम ने हमें तवायफ बनाकर बाजार में है बिठाया,,,,,,

हाय ,,,,"ये वफाएं मोहब्बत"...💔...
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