ख़त (III)
अच्छा सुनो,
बातें बहुत कर ली तुमसे, अब कुछ मैं तुमसे दिल के राज़ साझा करना चाहती हूं।
तुम इजाज़त दो तो तुम्हारी बाहों की गिरफ्त में एक रात गुजारना चाहती हूं।
वो शेरों शायरियों में उर्दू के भारी भारी शब्दों से की गई अपने महबूब की तारीफें...
बातें बहुत कर ली तुमसे, अब कुछ मैं तुमसे दिल के राज़ साझा करना चाहती हूं।
तुम इजाज़त दो तो तुम्हारी बाहों की गिरफ्त में एक रात गुजारना चाहती हूं।
वो शेरों शायरियों में उर्दू के भारी भारी शब्दों से की गई अपने महबूब की तारीफें...