Good morning से Good night तक
पहले आंखे खुलने का इंतजार होता था नींद में भी ये ख्याल होता था की पहले Good morning किसी का होगा
अब आंखे खोल भी तो कैसे जब इंतजार लम्बा है
घड़ी आज भी है जिसको देख के अंदाजा लगाते थे आने का टाइम हो रहा है
शीशा भी वही है
टाइम हो गया है थोड़ा बालो को ठीक कर ले
चेहरा कैसा लग रहा है मुस्कान कितनी रखनी है ...
अब आंखे खोल भी तो कैसे जब इंतजार लम्बा है
घड़ी आज भी है जिसको देख के अंदाजा लगाते थे आने का टाइम हो रहा है
शीशा भी वही है
टाइम हो गया है थोड़ा बालो को ठीक कर ले
चेहरा कैसा लग रहा है मुस्कान कितनी रखनी है ...