वार्णिका - अनोखे प्रेम की दास्ताँ! ( भाग - 6 )
कुछ लोग आपस में बात कर रहे होते है तो कुछ अपनी जेब से फोन निकालकर वीडियो बनाने लगते है लेकिन कोई विद्या जी को अस्पताल नही ले जाता है और वह बेसुध हालत में दर्द से कराहती रहती है,,,, आगे,,,,,
तो एक ओर वार्णिका रोते हुए सड़क किनारे से उठकर माँ,, माँ,, पुकारती हुई विद्या जी की ओर भाग पड़ती है भागते भागते कुछ ही समय में वार्णिका भीड़ के करीब आ पहुंचती है।
वह अपने कोमल से पैर आगे की तरफ रखती ही है की कोई उसके पैरों को अपने पैरों से रौंद देता है जिसके कारण उसके मुँह से एक आह,,, निकल जाती है।
लेकिन उसको तो मानो लालसा हो अपनी माँ को देखने की वह जैसे तैसे अपना दूसरा पैर भी आगे की तरफ रख देती है और भीड़ के अंदर प्रवेश कर के आगे बढ़ने की कोशिश करने लगती है।
छोटा होने के कारण वार्णिका बार बार आगे बढ़ने की कोशिश करती और हर बार धक्का मुक्की के कारण वह बिल्कुल आखिर में पहुँच जाती काफी समय ऐसे ही बीत जाने के बाद वह भीड़ को चीरती हुई आगे पहुंचती है तो खून लथपथ पड़ी विद्या जी को देख उसकी चीख़ निकल जाती है।
अपनी माँ को इस तरह दर्द से तड़पता देख वार्णिका के मन में डर बैठ जाता है और वह अचानक...
तो एक ओर वार्णिका रोते हुए सड़क किनारे से उठकर माँ,, माँ,, पुकारती हुई विद्या जी की ओर भाग पड़ती है भागते भागते कुछ ही समय में वार्णिका भीड़ के करीब आ पहुंचती है।
वह अपने कोमल से पैर आगे की तरफ रखती ही है की कोई उसके पैरों को अपने पैरों से रौंद देता है जिसके कारण उसके मुँह से एक आह,,, निकल जाती है।
लेकिन उसको तो मानो लालसा हो अपनी माँ को देखने की वह जैसे तैसे अपना दूसरा पैर भी आगे की तरफ रख देती है और भीड़ के अंदर प्रवेश कर के आगे बढ़ने की कोशिश करने लगती है।
छोटा होने के कारण वार्णिका बार बार आगे बढ़ने की कोशिश करती और हर बार धक्का मुक्की के कारण वह बिल्कुल आखिर में पहुँच जाती काफी समय ऐसे ही बीत जाने के बाद वह भीड़ को चीरती हुई आगे पहुंचती है तो खून लथपथ पड़ी विद्या जी को देख उसकी चीख़ निकल जाती है।
अपनी माँ को इस तरह दर्द से तड़पता देख वार्णिका के मन में डर बैठ जाता है और वह अचानक...