चाय पर चर्चा
दिलावर सिंह की दुकान पर चाय से अधिक गरम लोगों की बहस हो रही थी।हो भी क्यों न चर्चा चुनाव की , राजनीति की और नेताओं की। मानो ऐसा लग रहा था कि ये दिलावर की चाय की दुकान न हो अलबत्ता संसद भवन की गंभीर कार्यवाही हो। सुखराम चाचा तो मूंछों पर बार बार ताव देकर कहते है अरे इस बार घंटा के चिन्ह पर ही मुहर लगेगी बाकी सब तो चारों खाने चित होंगे। वाह चाचा वाह आप ही आक्टोपस पाल हो रहे है, पीछे से रवी तेज़ आवाज़ में...