...

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वो और कलम
वो लड़खड़ाती है,
फिर खुद को संभालती है....
वो पलट रही थी ऐसे
जैसे फिर ना मुड़कर
देखेगी उस ओर दोबारा....
कि सहसा ही,
पीछे से कुछ आवाज सी आई थी....
वो भाग रही थी.....
बड़ी तेजी से,
और वो आवाज,
उसके पीछे ही थी.....
अनायास ही,
उसका आंचल
लहराता है.....
उसकी रफ्तार और तेज हो जाती है....
धड़कने बढ़ जाती है,
और वो घबरा सी जाती है....
उसने पीछे पलटकर ना देखने का
वादा खुद से किया था.....
एक आवाज थी.....
उसके अतीत की....उसके अंतर्मन की.....
कुछ यादें थी......जिन्हे भूलने की पुरजोर
उसकी कोशिश वो कर रही थी......
और यादों के भी बुलंद थे इरादे,
यादें कहां पीछा छोड़ने वाली थी....
उसके अकेलेपन में,
उस पर हावी होना चाहती थी.....
वो किसी से कुछ कह
नहीं सकती थी........
बस एक गहरी खामोशी में
डूबी ही रह सकती थी........
कि कलम ने,
उसका साथ निभाया,
अब वो लिखती है,
दिल को........
जेहन को........
बाकी जो रहा,
हालातों को,
उसके तजुर्बों को.......!!

#स्त्री

© अपेक्षा