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The Untold Story of Nancy Sharma
The Untold Story of Nancy Sharma
प्रतिदिन की तरह मैं इंटरनेट पर सफ्रिंग कर रहा था और पुराने पड़े इंटरनेट में अखबारों-पत्रिकाओं को पढ़ रहा था शायद कुछ ही पेज पढ़ पाया मैं अचानक मेरी नज़र अखबारों के साइड में बनी हुई स्लाईड में एक खूबसूरत सी स्त्री की फोटो के साथ कुछ दिल को दहलाने वाली खबर छपी हुयी थी अक्सर अखबारों-पत्रिकाओं में रेप लूटपाट जैसी ही खबर छपी हुयी रहती थी लेकिन यह खबर कुछ हटकर ही थी मैने जैसे ही उस खबर को पढ़ा और रोने लगा मन ही मन में मैं भगवान को शिकायत करने लगा फिर मैने उस खबर के बारें रिसर्च और खोज-बीन करने लगा शायद इससे जुड़ी और खबर मुझे पढ़ने को मिल जाये शायद ऐसा नही हुआ इतनी बड़ी खबर और वो भी ज्यादा टैंड पर नही है मैं इक टक सोच में पड़ा रहा फिर जितनी जानकारी मुझे इंटरनेट रिर्सच से मिला उसी के आधार पर मैने यह कहानी लिखने का विचार किया ये कहानी है अम्बाला की रहने वाली एक स्त्री की जिनका नाम है नैंसी शर्मा यह पेशे से इक बहुत ही बड़ी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी इनके पति अनुदीप शर्मा भी पेशे से गुड़गांव में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है नैंसी शर्मा जी का इक सात साल का बेटा भी है कहानी का कुछ हिस्सा में पीछे की और ले जाता हूँ ताकि आपको भी पता चले नैंसी शर्मा जी ने ऐसा कौन सा काम किया जिससे लोग आज भी इनको याद कर लेते है बात तब की है जब नैंसी शर्मा तकरीबन पांच से छः बर्ष की होंगी अपने पिता की लाड़ली नैंसी हमेशा पापा से कहती रहती थी पापा मैं ना कुछ ऐसा काम करूंगी की ये देश मुझे याद करेगा पिता अशोक शर्मा जी जो रेलवे में सरकारी कर्मचारी थे उन्होने ने अपनी बेटी की बातों को ज्यादा गम्भीरता से नही लिया वो उसकी बातों को अक्सर यह कहकर टाल देते थे जब बड़ी हो जाना तब करना देश की रक्षा नैंसी जब भी पढ़ाई लिखाई में अव्वल आती और पिता जी उससे पूछते बेटा नैंसी तुम्हे क्या चाहिये तुम्हारे लिये कुछ लेता आऊं क्यों कि तुमने अच्छे अंक से परीक्षा में उर्तीण हुई हो पिता जी के बार बार कहने पर भी नैंसी मना कर देती पिता जी मुझे कुछ नही चाहिये बस मैं अच्छे से पढ़-लिखकर हमेंशा ऐसे ही आपका नाम रोशन करूंगी आपको और देश को गर्व हो पिता जी को नैंसी की बात अब की बार दिल में जा लगी नैंसी ने पिता जी को उदास होता देखकर तुंरत कहा पापा आप उदास ना हो आप बस में आगे की पढा़ई इंजीनियरिंग कॉलेज में करुंगी मुझे इक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना है पिता जी ने ठंडी आह भरी और नैंसी से कहा मैं तो सोच रहा था शायद तुम सौरभ की तरह डॉक्टर या सेना के लिये जाओगी नैंसी ने कहा नही पापा मुझे तो इंजीनियर बनकर ही देश की सेवा करनी है पिता जी भी दोनो बच्चों के भविष्य के लिये अब अनिश्चित थे पिता अशोक शर्मा जी ने सौरभ और नैंसी की पढा़ई अच्छे और बड़े स्कूलों में करवाई नैंसी ने फरीदाबाद में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनकर पापा का नाम रोशन किया और सौरभ ने डॉक्टर बनकर पिता जी का नाम रोशन किया सौरभ विदेश में डॉक्टरी करनें लगा और नैंसी भी अपने सॉफ्टवेयर इंजीनियर के जॉव में काम करने लगी पिता जी नें नैंसी की उम्र को बढ़ता देख नैंसी की शादी अनुदीप शर्मा से करवा दी कुछ सालों बाद नैंसी को अपने माता पिता की याद आयी नैंसी ने अनुदीप से कहा में कुछ दिन ऑफिस से छुट्टी ले रही हूँ सोच रही हूँ मैं और विशाल(काल्पनिक नाम) पापा के घर हो आऊं अनुदीप ने कहा ठीक है तुम और विशाल हो आओ मुझे समय हुआ तो मैं बाद में आ जाऊंगा नैंसी और नैंसी का बेटा पापा व दादा जी से मिलने के लिये अम्बाला घर पर पहुंच गये कुछ दिन तो हंसी मजाक़ में दिन गुज़र गये फिर अचानक नैंसी की तवियत खराब होने लगी पिता जी ने पास के अस्पताल में भर्ती करवाया तो डाॅक्टरों ने बताया कि नैंसी का ब्रेन डेड हो गया है यहाँ इलाज़ करना सम्भव नही है आप किसी बड़े डाॅक्टर के पास दिखाये डॉक्टरों की बातों ने नैंसी के पिता को अन्दर से झकझोर दिया वो टूट गये लेकिन उन्होने हिम्मत नही हारी और चंडीगढ़ पीजीआई में नैंसी को भर्ती भी कराया कुछ दिन तक इलाज़ चला डॉक्टरों ने नैंसी की कुछ जांच वगैरा कि पिता जी को रिपोर्ट में कुछ समझ ना आया ना ही डाॅक्टर ने उस रिपोर्ट में कुछ बताया तो पिता जी ने नैंसी की जो भी रिपोर्ट थी वो सौरभ को भेजा दिया सौरभ ने भी वहां सभी नामी अस्पताल में रिपोर्ट को दिखाया वहां के डॉक्टरों ने सलाह दिया कि तुम्हारी बहन 80% मर चुकी है केवल 20% ही बचने के चांस है नैंसी का भाई सौरभ ये सुनकर टूट गया जिस बहन ने उसके हाथों में सालों साल रक्षा सूत्र बांधा था मैं आज उसी बहन की रक्षा नही कर पा रहा हूँ क्या फायदा है मुझे इतने बड़े डॉक्टर होने का इधर बहन की खबर सुनकर सौरभ छटपटा रहा था उधर नैंसी के पापा और मम्मी छटपटा रहे थे सौरभ आनफान में चंडीगढ पीजीआई पहुंचा और वहां के डाॅक्टर ने जो कहा उसने सब पापा को बता दिया सौरभ ने पीजीआई के डॉक्टरों से पूछा तो उन्होने सौरभ से
- डॉक्टरों ने कहा कि नैंसी की बचने की उम्मीद नहीं है, हालांकि ब्रेन डेड के बावजूद बाकी अंग काम कर रहे थे।
- डॉक्टरों ने कहा अगर उनके बाकी अंग दान कर दिए जाते हैं तो कई लोगों को नई जिन्दगी मिल सकती है।
पिता बोले-बेटी कहती थी, ऐसा काम करूंगी कि लोग याद रखेंगे
- नैंसी अक्सर कहती थी-पापा देखना एक दिन में ऐसा काम करूंगी की दुनिया मुझे हमेशा याद रहेगी।
- वो ऐसा कर भी गई। बेटी का चले जाने का दुख हमेशा रहेगा, लेकिन सुकून है कि उसका दिल दुनिया में धड़क रहा है। उसकी आंखें आज दुनिया को देख रही हैं।
- नैंसी पेशे से सॉफ्टेवयर इंजीनियर थी। पति अनुदीप शर्मा भी गुड़गांव में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। सात साल का बेटा है। बेटी ब्रेन डेड हुई तो दामाद से बात की।
- 6 अप्रैल को परिवार की सहमति से बेटी के अंग दान करने के लिए निर्णय लिया, लेकिन जब पेपर पर सिग्नेचर करने का समय आया तो हाथ कांपने लगे।
- नैंसी का हार्ट 13 साल की बच्ची को प्रत्यारोपित किया गया। किडनी भी दो लोगों को दी गई। लीवर के चार पार्ट भी चार लोगों को डोनेट किए गए।
- आंखों से दो लोगों को रोशनी मिली। इससे पहले शायद ही किसी ने इतने अंग दान हुए हों। इसमें डॉक्टरों का योगदान भी सराहनीय रहा।
- मोहाली एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर इन अंगों को हवाई जहाज से नोएडा, दिल्ली और चंडीगढ़ जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाकर ट्रांसप्लांट कराया।
- बेटी जाते-जाते समाज को भी यह संदेश दे गई कि बेटियां वरदान हैं। नैंसी ने बेटी होने का वह फर्ज अदा किया है, जो शायद बेटे भी पूरा न कर सकें।
- परिजनों ने फरीदाबाद पहुंचकर नैंसी की तेरहवीं मनाई। इसमें हर शख्स ने नैंसी को सलाम किया।
मर कर भी अमर हो गयी नैंसी शर्मा
ब्रेन डेड हुई 32 वर्षीय फरीदाबाद की सॉफ्टवेयर इंजीनियर नैंसी शर्मा की वजह से 9 लोगों को नई जिंदगी मिली।
मैं ऐसी बेटी, ऐसे पिता, ऐसे पति को दिल से बारम्बार सलाम करता हूं !
पुनः नैंसी को सादर नमन व श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ !
अगर आपको इस कहानी ने अन्दर से झकझोर दिया हो तो आप सभी से निवेदन है यह कहानी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाये नैंसी शर्मा को शायद ही ज्यादा लोग जानते होगें या इनके बारे में पढ़ा या सुना होगा इंटरनेट पर भी नैंसी शर्मा के बारे में पूर्ण जानकारी नही है ना ही उनकी अनगिनत तस्वीरें है जैसे बाॅलीवुड के सितारों के होते है हद से ज्यादा दो ही तस्वीरेें है नैंसी शर्मा जी की पहली तस्वीर में अपनें बच्चों के साथ और दुसरी तस्वीरों में वो स्वयं ही है उसमें
उम्मीद करता हूँ आपको यह सच्ची कहानी पंसद आयी होगी
~अजय बैरागी
© ajay_bairagi