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इंसान या साया... (पार्ट-4)??
जूली रॉबर्ट को इस तरह से चौका घबराया देख पूछती है-क्या हुआ रॉबर्ट क्या लिखा है इस दीवार पर..??
रॉबर्ट इतना डर जाता है की उसके मुँह से आवाज़ तक नहीं निकलती.....
जूली- रॉबर्ट तुम कुछ बोल क्यू नहीं रहे.क्या लिखा है बताओ .. रॉबर्ट...

रॉबर्ट-जू.... जूली यहां लिखा है...

"गिर्जापुर की गुफाओ मे है इक साया
जिसकी आजादी कैद है जंगल के सूखे पेड़ के अंदर, कटा जो पेड़ निकला साया.... चाहत उसकी इक बच्चे को पाने की उसकी जिंदगी छीन खुद को इंसान बनाने की........... "

रॉबर्ट बस इतना ही पढ़ता है आगे नहीं क्यूंकि उसके बच्चे एंजिला और टोनी गायब थे..... रॉबर्ट और जूली बहुत डर जाते हैं वे एंजिला और टोनी को पागलो की तरह ढुनने लगते हैं....

एंजिला... टोनी..... बेटा कहाँ हो तुम बेटा आवाज़ दो.... एंजिला... टोनी..

पर कोई जवाब नहीं मिलता बहुत देर ढुनने के बाद और हर गुफा के अंदर बाहर देखते हुए उनका बुरा हाल हो जाता है कुछ समझ नहीं आता उन्हें...

वो बस... एंजिला.. टोनी... मेरे बच्चो कहाँ हो बेटा.... एंजिला बेटा... टोनी देखो मम्मी बुला रही.... बेटा पापा के पास आ जाओ कहाँ हो तुम दोनों... कह कर चिल्लाते रहते हैं और रोते हैं...
एकाएक.. तभी गुफाओ के अंदर की इक गुफा से खिलखिलाने की आवाज़ आती है...
जूली-रॉबर्ट ये आवाज़..... और वो दोनों दौड़ कर उस आवाज़ की तरफ जाते हैं और देख हैरान रह जाते हैं वहाँ एंजिला गुफा के अँधेरे कोने मे इक लॉकेट लिए उससे खेल रही थी उस लॉकेट मे अजीब सी चमक थी और बहुत ही सुंदर था पर एंजिला को अँधेरे से अकेले मे बहुत डर लगता था और आज वो ऐसे हस, खिलखिला रही....
रॉबर्ट-एंजिला बेटा... एंजिला... पर एंजिला कोई जवाब नहीं देती ना ही उनकी तरफ देखती ही है जैसे वो कुछ सुन या जानती ही ना हो......
जूली- एंजिला.... और उसे दौड़ कर गले से लगा लेती है...एंजिला कहाँ चली गयी तुम बिना बताये कितना डर गये थे हम लोग बेटा .... और उसे किस करते हुए बेटा टोनी कहाँ है वो तुम्हारे साथ था ना??
एंजिला कुछ नहीं बोलती और चुप रहती है !
रॉबर्ट- एंजिला टोनी कहाँ है.?? .. एंजिला तुम बोलती क्यू नहीं कहाँ है टोनी.... एंजिला...

एंजिला गुफा के दूसरे कोने की तरफ हाथ उठा ऊँगली दिखाती है.....
जूली, रॉबर्ट दोनों उस ओर देखते हैं.... जहाँ टोनी चुपचाप बैठा था.. !
रॉबर्ट जाके टोनी को गोद मे उठा लेता है और कहता है मेरे बच्चे तू ठीक है ना

जूली-रॉबर्ट मैंने कहा था तुमसे हमें यहां नहीं आना चाहिए था ये जगह सही नहीं अब हम इक पल भी यहां नहीं रुकेंगे..... चलो यहां से जल्दी से...
रॉबर्ट- हाँ जूली हमें चलना चाहिए और सब ठीक है, हमारे बच्चे सही सलामत है चलो....

जैसे ही वो वहा से निकलने की कोशिस करते हैं.. इक बार मौसम फिर बदलता है गुफाएं भयानक डरावनी आवाज़ों से गूंज जाती हैं जूली घबरा कर एंजिला का हाथ कस कर पकड़ लेती है और टोनी को रॉबर्ट गोद मे ले लेता है........तभी.....
एंजिला-मम्मी मुझे नहीं जाना मुझे यहां अच्छा लग रहा है घर जैसा मैं यही रहूंगी आपको जाना है तो जा सकते हो उसकी आवाज़ मे भारीपन था कुछ अलग वो इक टुक टोनी को देखे जा रही थी...
जूली- एंजिला ये क्या कह रही हो तुम चलो यहां से.... बेटा ये जगह सही नहीं और तुम्हे गुफा देखना था देख लिया अब चलो एंजिला और ये तुम टोनी को ऐसे क्यू देखे जा रही हो?? क्या हो गया है तुम्हे??
रॉबर्ट-जूली एंजिला चलो जल्दी यहां से रात से पहले निकलना होगा नहीं तो यहां की घनी काली रात मे निकलना बहुत मुश्किल होगा आओ जल्दी....

जल्दी-जल्दी सब गुफा से बाहर निकलते हैं..... पर ये क्या बाहर भी घणा अंधेरा था जबकि अभी दोपहर का समय था जंगल मे कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था और हवाएं इतनी भयानक थी की मानो सब तहस नहस कर देंगी !!
रॉबर्ट समझ नहीं पा रहा था ये क्या हो रहा इससे पहले तो ऐसा कभी कहीं नहीं हुआ उसके साथ वो घबरा रहा था क्यूंकि उसकी फैमिली थी, उसके साथ पर वो अपनी घबराहट दिखाए बिना-जूली चलो हमें यहां से जल्दी निकलना चाहिए तुम एंजिला का हाथ अच्छे से पकड़ लो और ध्यान से आओ....
एंजिला चेहरे पर बिना किसी भाव के- मम्मी मुझे नहीं जाना मैं यही रहूंगी ये मेरा घर है और अभी भी एंजिला टोनी को घूरे जा रही थी जिसे रॉबर्ट ने गोद मे उठा रखा था और वो एकदम शांत था... !!
जूली और रॉबर्ट समझ नहीं पा रहे थे आखिर उनके बच्चो के साथ हुआ क्या है और एंजिला का बिहेवियर तो उनको डरा रहा था....
जूली- एंजिला बेटा क्या हो गया है तुम्हे ये क्या कह रही हो ये हमारा घर नहीं यहां रुकना सही नहीं है बेटा... और अभी हम चलते है अगर तुम कहोगी तो हम दोबारा यहां आ जायेंगे.. !!
इस बात पर एंजिला उनके साथ चल देती है और रॉबर्ट सबको लेकर वहा से निकल आता है और गाड़ी लेकर घर की ओर चल देता है.... जूली रॉबर्ट बहुत घबराये हुए थे, ये जो सब हो रहा था उसको लेकर..... जब तक वो गिर्जापुर से बाहर नहीं निकल आते तब तक मौसम का भयावय खेल जारी रहता है ..... तेज़ हवाएं, भयानक आवाज़े, बारिश जो उनकी घबराहट डर को बढ़ा रहे है....... फिर भी जैसे-तैसे वो सब अपने घर आ जाते है और चैन की सांस लेते हैं.....


Dear writers, readers n frnds thnkx to all who read, like and commet my story......
please read this part of story i hope you like it also.... if yes please like and comment your advice, suggestions, views for motivation and improve my self......
And story's next part comming soon plzz read....

Kalpana@Kalpu