...

3 views

एक रिश्ता (भाग 4)
अमित अपनी माँ के कहने पर अपनी मौसी के घर आ गया। मौसी अपने बेटे बहू और पोते के साथ रहती थी। विष्णु (मौसी का पोता) के स्कूल में एक डांस प्रतियोगिता थी तो विष्णु अमित को अपने साथ ले गया। अमित का वहाँ मन नहीं लग रहा था सो उसने अपने फोन में गेम खेलना चालू कर दिया। थोड़ी देरमे उसके कानों में एक आवाज गूंजी, ये आवाज जानी पहचानी सी थी। जिस ओर से आवाज आ रही थी अमित ने उस ओर अपनी नजरे दौड़ाई तो उसकी नजरे और सांसे दोनों वही अटक गई। वो आवाज अर्चना की थी, और अर्चना उसके सामने थी स्टेज पर।खुले बाल, गाजरी साड़ी में बोहोत खूबसूरत लग रही थी, पर....उसकी मांग में सिंदूर था, उसके गले में मंगलसूत्र था। तभी सब लोग एक साथ उठे और जाने लगे, लोगो की भीड़ में अर्चना फिर कहीं गुम हो गई। अमित विष्णु को रोज छोड़ने और लेने जाने लगा ताकि अर्चना को देख सके। 3-4 दिन हो गए पर उसको अर्चना से बात करने का मौका नहीं मिला, कल से छुट्टियाँ भी पड़ने वाली थी इसलिए अमित कुछ भी कर के उससे आज ही बात करना चाहता था। दोपहर में विष्णु ने अमित को अपनी क्लास टीचर से मिलने को बोला अमित क्लास में गया तो वहाँ अर्चना खड़ी थी। अर्चना ने उसको देखा तो हैरान सी हो गई। उसके गले में अभी भी मंगल सूत्र और मांग में सिंदूर था, ये देखकर अमित भी जरा चिंतित था। अर्चना विष्णु को कमरे के बाहर भेजती है।
अर्चना ( अमित से) : यहांँ क्या कर रहे हो?
अमित (अर्चना से) : विष्णु को लेने आया था उसने बोला उसकी मैडम ने बुलाया है।
अर्चना : मेरा मतलब है तुम इस शहर में क्या कर रहे हो?
अमित : अच्छा.... मेरी मौसी रहती है यहांँ, कुछ दिन उनके घर रहने आया हूंँ। तुम यहांँ कैसे?
अर्चना : तुम मेरा पीछा कर रहे हो ?
अमित : नहीं तो।तुमने मेरे प्रशन का उत्तर नहीं दिया।
तभी एक आदमी की आवाज आती है, " चले अर्चना?"
अर्चना बिना कुछ कहे चले जाती है।
अमित अब और भी चिंतित था कि ये आदमी कौन हैै, अर्चना का क्या लगता है, अमित अर्चना को अपने साथ अपने घर लेजाना चाहता था। अमित ने विष्णु से जितना हो सका अर्चना के बारे में जानने की कोशिश की। अर्चना रोज सुबह स्कूल के पास वाले पार्क में आती थी, अमित ने भी जाना चालू कर दिया। धीरे धीरे करके उसने अर्चना से बात करनी चालू करी, शुरू शुरू में अर्चना कम ही बोलती पर एक हफ्ते बाद तो पहले की तरह ही बात करने लगी।
अगले हफ्ते अमित ने वापस घर जाना था। वो अर्चना से माफी मांग चुका था और उसने माफ भी कर दिया था ये कहकर कि ........गलती दोनों की थी, उसने सबका ध्यान रखा, सबके बारे में सोचा बस अमित के बारे में ही नहीं सोचा। और अमित ने भी कभी कुछ कहा ही नहीं, अपने मन की बात अपने मन में है रखी। फिर शराब के नशे में सब बाहर आ गया, और सब खत्म होगया। अब वो एक नई शुरुआत करना चाहती थी। पर किसके साथ ये उसने अमित को नहीं बताया। अमित उससे कभी ये भी नहीं पूछ पाया कि वो मंगलसूत्र किसके नाम का है।
अमित : मै परसों वापस जा रहा हूंँ, कल आ नहीं पाऊंगा मिलने।
अर्चना : कितने बजे की बस है?
अमित : 9 बजे की। तुम आओगी मुझे छोड़ने?
अर्चना : नहीं। चलो मै चलती हूंँ।
अमित : ये सिंदूर और मंगलसूत्र किसके नाम का क्या?
अर्चना : तुमने क्या लगता है ?
कहकर अर्चना वहाँ से चली जाती है।
© pooja gaur