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आज सुबह का शोर कुछ शांत हैं , यह सूर्य का प्रकाश कुछ ठंडा हैं, हां आज मेरा मन कुछ बैचेन हैं । हां मेरा मन मेरा घर , बस आज तक की मोहलत दी हैं मुझे मेरे अपनों ने ,उन्होंने जिन्हें मैंने अपनी उंगली...