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रॉन्ग नंबर
#रॉन्गनंबर

बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और जीत ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया। जीत को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो ऐसे ही किसी ने काॅल किया था।

दो साल पहले जीत अपने पिताजी के साथ बैठे सुनहरी शाम का आनंद ले रहा था। शाम की चाय और उनकी बातें, इससे जीत की मां दूर ही रहती। जीत अपनी पिताजी का बेटा नहीं, दोस्त था।
जीत को एक छोटी बहन भी थी। वो मुंबई में अपनी पढ़ाई पूरी कर रही थी। रोज़ उससे बात होती थी सबकी।

एक दिन जीत अपने कमरे में बैठ कर अपना काम कर रहा था और उसके पिताजी बगीचे में टहल रहे थे।
उतने में ज़ोर से रोने की...