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सोशल मीडिया से लीन, जीवन में संतुलन
हालांकि ये सब सुनकर भी अमित ने अपनी आदत में कोई बदलाव नहीं किया। लेकिन एक दिन काम से वापस आते समय बस में अंकिता से उसकी मुलाकात हो गई। यह मुलाकात अमित के जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाली साबित हुई।

अंकिता 23 वर्ष की एक कॉलेज स्टूडेंट थी। वह दिल्ली के ही एक प्रतिष्ठित कॉलेज में एमबीए की पढ़ाई कर रही थी। लेकिन अंकिता सोशल मीडिया से बहुत दूर रहने वाली लड़की थी।

बस में जब अमित ने अंकिता को अपने फ़ोन पर कोई ऐप नहीं देखा तो उसने उससे पूछा- "तुम सोशल मीडिया पर नहीं रहती हो क्या?" इस पर अंकिता ने उत्तर दिया- "मैं सिर्फ इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप इस्तेमाल करती हूँ लेकिन उस पर भी काफी सीमित समय बिताती हूँ। मुझे लगता है कि सोशल मीडिया बहुत सारे लोगों के जीवन में बहुत ज़्यादा खलल डाल रहा है।"

ये सुनकर अमित को अपने बारे में सोचना शुरू हो गया। वह समझ गया कि अंकिता बिलकुल सही कह रही है। सोशल मीडिया ने वाकई उसके जीवन में बहुत बड़ा असर डाल रखा था। वह हमेशा उदास और अकेला महसूस करता था। उसके सारे वास्तविक रिश्ते कमज़ोर हो गए थे। अमित को अंकिता से बात करते हुए खुद पर गुस्सा आने लगा कि वो इतना जल्दी इस लत में कैसे फंस गया।

उस रात को अमित ने सोचना शुरू किया कि वह अपनी इस लत से कैसे बाहर निकल सकता है। उसे अपना जीवन वापस अपने कब्ज़े में लेना था और सोशल मीडिया से दूरी बनानी होगी। अगले दिन से उसने मन बना लिया कि वह धीरे-धीरे अपनी इस लत से मुक्ति पाने की कोशिश करेगा।1

अगले सुबह अमित ने सबसे पहले अपना मोबाइल फ़ोन नहीं उठाया। वह नहा-धोकर तैयार होने के बाद सीधा किचन में गया और अपना नाश्ता बनाने लगा। पहली बार उसे ऐसा लगा कि बिना मोबाइल के भी काम चल सकते हैं।

काम के लिए जाते समय भी वह अपने फोन का इस्तेमाल नहीं किया। ऑफिस में उसने अपना काम ध्यान से किया और कोई भी डिजिटल डिवाइस नहीं चलाया। साथियों ने भी इस बात पर हैरानी जताई कि अमित पहली बार इतना फोकस से काम कर रहा है।

दोपहर के वक्त अमित ने खुद को रोका और अपने मोबाइल चेक नहीं किया। वापस आकर भी सीधे खाना बनाने में लग गया। शाम को जब उसके दोस्तों ने फोन किया तो उसने उनसे मिलने की बात कही।

दोस्तों के साथ मिलकर बाहर निकलने से अमित को अच्छा लगा। वापस आकर उसने अपना मोबाइल देखा तो सौ से ज्यादा नोटिफिकेशन और मिस्ड कॉल्स थे। लेकिन आज पहली बार उसे इनसे कोई फर्क नहीं पड़ा। वह सोचने लगा कि इस तरह धीरे-धीरे वह अपनी लत से बाहर निकल सकता है।

अगले कुछ दिनों में अमित ने अपने मोबाइल और सोशल मीडिया का इस्तेमाल और कम कर दिया। वह घर के कामों में भी अधिक सक्रिय हो गया था। काम के बाद वह अक्सर अपने पुराने दोस्तों से मिलने लगा था। धीरे-धीरे अमित का जीवन फिर से सकारात्मक रूप से बदलने लगा था।1