शुभ मंगलवार
शुभ मंगलवार की बेला में
बंदरों के झुंड ने नीमवा तले डाला डेरा।
सभी अपनी अपनी दास्ताँ नीम का पेड़ हिला हिला अपने ही सुर ताल में सुना रहे।
शायद जय श्रीराम, जय श्रीराम
अपनी ही भाषा में गा रहे।
समझ में हमारी न कुछ आ रहा
क्या बुलवाना या क्या कहना चाह रहे।
नीम पे बैठा पंछियों का दल
भी घबरा गया।
तभी इक बड़ा वानर आ सभी को चुप करा गया।
देखने में उस समूह का सरदार
लगा।
हमें तो राम प्रिय भक्त हनुमान...
बंदरों के झुंड ने नीमवा तले डाला डेरा।
सभी अपनी अपनी दास्ताँ नीम का पेड़ हिला हिला अपने ही सुर ताल में सुना रहे।
शायद जय श्रीराम, जय श्रीराम
अपनी ही भाषा में गा रहे।
समझ में हमारी न कुछ आ रहा
क्या बुलवाना या क्या कहना चाह रहे।
नीम पे बैठा पंछियों का दल
भी घबरा गया।
तभी इक बड़ा वानर आ सभी को चुप करा गया।
देखने में उस समूह का सरदार
लगा।
हमें तो राम प्रिय भक्त हनुमान...