अपना कर्म देखो....
एक बात बार बार जहन में आती हैं, की इंसान खुद की बातों को खुद के कर्मो को क्यों नहीं देखता? उसकी सोच क्यों खुद तक नहीं आती? चिंतन क्यों नहीं कर रहा हैं इंसान?
ये सारे सवालों के जवाब हमारे ही अंदर हैं। बस जरूरत हैं सोचने की जरुरी नहीं की हर इंसान हर वक़्त गलत हो लेकिन वो कब अपनी गलती को सुधारता हैं ये जरुरी हैं।
हालात बुरे होते हैं लेकिन इंसान को बुरा नहीं बनना चाहिए।
जो खुद के अहम में चूर हैं वो ये बातें समझ ही नहीं सकते।
विचार अच्छे हो तो इंसान अपने आप अच्छा साबित होता हैं लेकिन विचार ही ख़राब हो तो इंसान भी बुरा होता हैं।
रिश्ते दिल से निभाये जाये हैं दिखावे से नहीं। प्यार हो अपनापन हो तो हर मुश्किल दूर की जाती हैं अपनी बातों से।
सिर्फ और सिर्फ जरूरत हैं हाथ बढ़ाने की प्यार करने की नहीं तो नफरत रखकर यहाँ से जाना खुद को ही तकलीफ देगा।
© Niharik@ ki kalam se✍️
ये सारे सवालों के जवाब हमारे ही अंदर हैं। बस जरूरत हैं सोचने की जरुरी नहीं की हर इंसान हर वक़्त गलत हो लेकिन वो कब अपनी गलती को सुधारता हैं ये जरुरी हैं।
हालात बुरे होते हैं लेकिन इंसान को बुरा नहीं बनना चाहिए।
जो खुद के अहम में चूर हैं वो ये बातें समझ ही नहीं सकते।
विचार अच्छे हो तो इंसान अपने आप अच्छा साबित होता हैं लेकिन विचार ही ख़राब हो तो इंसान भी बुरा होता हैं।
रिश्ते दिल से निभाये जाये हैं दिखावे से नहीं। प्यार हो अपनापन हो तो हर मुश्किल दूर की जाती हैं अपनी बातों से।
सिर्फ और सिर्फ जरूरत हैं हाथ बढ़ाने की प्यार करने की नहीं तो नफरत रखकर यहाँ से जाना खुद को ही तकलीफ देगा।
© Niharik@ ki kalam se✍️
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