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PREM...!!!
एक अनोखी प्रेम कहानी दुनिया ने न जानी है
ह्रदय मैं प्रेम लिए भटकती एक मीरा दीवानी है
बिरहन की अग्नि मैं जलती बीत गई जिंदगानी है
साथ दिनों के रंग मैं रंगी हुई उसकी कहानी है

महादेव का उपवास किया था उस कन्या ने सोमवार को
मिल जाए वर उनके जैसा संसार मैं उसका नाम हों
महादेव के मंदिर की चौखट पर उसने दिए जलाए थे
इसी प्रकाशित रात्री में उसने अपने कान्हा के दर्शन पाए थे

उस एक क्षण में इसके जीवन का छुपा हुआ था सार
सम्मोहन मैं रैना कटी और दिन आया था मंगलवार
प्रेम गीत गुनगुना रहा था इसका कंठ नित बारम्बार
अपने प्रिय की कल्पना मैं किया था उसने सोलह श्रृंगार

स्वप्न उसकी प्रीत का ले चला उसे उस लॉक के पार
इसके कान्हा समक्ष थे उसका कर रहे थे इंतजार
मुख पर मोहक मुस्कान थी सज़ा हुआ था द्वार
स्वप्न जब पूरा हुआ उसका दिन था बुधवार

गुरुवार की सीतल हवा ने उसके मन मैं अलख जगाई
प्रिय दर्शन की आस में मन्दिर तक दौड़कर आई
ढूंढ रही थी वो प्रियतम को मंदिर के हर कण मैं अकुलाई
न मिले कान्हा उसे तो महादेव से गुहार लगाई

उसके दर्शन की आस मैं अपने नयन बिछाए
सुक्रवार बीत गया मगर उसके प्रियतम नही आए
सूना हुआ मन का कोना पीर समझ न आए
अगियानी संसार कहे बावरा उसकी हसी उड़ाए


उसके नयनों में बसी थी पिया मिलन की आस
स्वप्न खंडित हों गए थे उसे मीला था सनी का त्रास
कर्त्तव्य पालन के लिए कन्हिया ने छोड़ा उसका हाथ
शनिवार की रात्रि कोई नहीं था उसके साथ

सूर्य की तेज़ मैं दमक रही थी उसकी योगिनी की काया
कान्हा का प्रेम उसे मोह लगे अपना तन लगे माया
रविवार को संसार ने योगिनी को कंठ लगाया
कान्हा की मीरा बनी उसने विरह को अपनाया


© lotus