...

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चंद्रमुखी....एक समर्पित प्रेमिका
कितनी वेदना, कितना विरह,
कितने समर्पण के बाद चंद्रमुखी के हिस्से मे देवदास का प्रेम आता है

वो भी मृत्यु के निकट होने पर...
देवदास की " प्रेम स्वीकृति "

वो देवदास जो चंद्रमुखी को इसलिए छूने नहीं देता, क्युकी वो पारो का है....

देवदास का प्रेम तो पारो के लिए है
और चंद्रमुखी का प्रेम देवदास के लिए...

देवदास पर ना जाने कितनी ऐसी कहानियाँ लिखी गई होंगी...

पारो को ना पा सकने का गम देवदास को था
और उसे भुलाने के लिए वो चंद्रमुखी के प्रेम का सहारा लेता है..
वो तो पारो का ही रहता.... मरते दम तक..
पर...
चंद्रमुखी का क्या...

वो कितनी निर्मल, सरलता से प्रेम मे बहती एक धारा...

उसका परिचय बस इतना ही...

देवदास के प्रेम मे समर्पित प्रेमिका....

देवदास तो पारो का ही था
वो तो उसके गम को...