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मिस रॉन्ग नंबर 20
#रॉन्गनंबर 🚩

~~~~ पार्ट 20 ~~~~

(जीत फोन आए लड़की की मदद के लिए निकलता है~~~~)

आखरी पल~~~~

वो बढ़ता हुआ आगे आया... उसने मेरे घेरे को लांघ कर अंदर कदम रखा.... मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ की वो बाहर से अंदर कैसे आ पाया... मतलब... उसने, मेरा खुद होकर बाहर जाने वाला रास्ता बंद करने वाला कोई मंत्र घेरे में डाला है जो मुझे बाहर जाने से रोक रहा है.... अर्थात, यदि कोई बाहर से अंदर आता है तो शायद इसका तिलिस्म टूट जाता है....!! मैं तुरंत समझ गई... की यही मौका है जिसे मुझे गंवाना नही है.... इसलिए उसे पहले मेरे घेरे में आने देना जरूरी था ।

अब आगे ~~~~

उसके आते ही मैं कुछ कर सकती थी.... सो... मैने उसे घेरे के अंदर आने दिया... वह झुक कर कुछ मंत्र बुदबुदाते हुए कैची से मेरे शरीर पर पहने कपड़ों को काटना चाहा..... जैसे ही उसने मेरे कपड़ों में कैची लगाई मैं तुरंत हरकत में आकर उसका हांथ पकड़ कर मरोड़ दिया ।
इस बार ये उसके लिए अचानक हुआ धोखा था । शायद उसे रत्ती भर भी अंदेशा न हुआ था की मैं सचेत हूं...! और उसके सकपकाने से वह जरासा कमजोर पड़ा जिसका फायदा मैने उठाना चाहा लेकिन उसके पहले उसने मेरे अंतड़ीयोंमे जोरदार घुसा मारा मैं पीठ के बल गिर पड़ी... लेकिन मेरे हांथ में जो उसका हांथ था वो छूटा नहीं था... मेरे गिरते ही वह मेरे ऊपर जैसे ही गिरने वाला था मैंने पूरा बल लगाकर अपने दोनों पैरोंसे इतनी जोरदार लाथ मारी की वह जोर से उसी आईने वाले खुले दरवाजे के किनारे ऐसा गिरा की संभाल ना पाया उल्टा बैलेंस जाने से सीढ़ियों से लोटपोट होते हुए और नीचे गिर गया...!
यही मौका था की मैं बाहर निकलूं.. मैने फिर से अपनी पूरी शारीरिक ताकद लगाते हुए घेरे से बाहर जाने की कोशिश की... लेकिन नतीजा वही का वही रहा...! मैं फिर से अंदर धकेली गई... और गिर गई...
अब मेरे पास कोई दूसरा चारा न था... मैने वही गिरे हालत में अपनी मानसिक शक्ति को एकाग्र करते हुए टेलीपैथी का इस्तेमाल करके तुम्हे बार बार आवाज लगाई...! तथा जान लिया की तुम वास्तव में मुझे बचाने के लिए निकले हो... तो मैने तुम्हे, मैं जहां फंसी हूं उस जगह की, मानसिक तरंगो के माध्यम से जानकारी देती गई....!
"इसे तुम ऐसे समझ सकते हो जैसे मैं मानस शरीर से तुम्हारे साथ चल रही थी । और तुम्हे यहां तक ले आई... लेकिन आखिर में मैं थक कर बेहोश सी हो गई ।"
"तुम्हारे उस घर के अंदर आने तक तो मैं जैसे तैसे धीरज रख पाई थी किंतु फिर धीरे धीरे मेरे ऊपर ग्लानी भर आई.. ।"

( क्रमशः ~~~~ )

(आगे की कहानी की प्रतीक्षा करिए... अगले अंक में हम फिर जल्द ही मिलेंगे आगे क्या हुआ जानने के लिए...)
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© Devideep3612