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यही कारण है की हमारे अधिकतर साधु सन्यासी घर छोड़ देते है ।।
मां बाप जब जानते है की बच्चा मौन रहता है समाधि में लिन रहता है एकांत पसंद है या अपने धुन में रमे रहना पसंद है तो बार बार आके उंगली करते है

मुस्कुराहट तो स्वय का स्वभाव है इसे कैसे बदला जा सकता है

होता है तो लोगो को बुला कर तमाशा करवाते है किसी तरह अपने बंधन में बांध कर रखना चाहते है

उसके शरीर के साथ छेड़खानी करते है उसको उकसाते है
यह कैसा प्रेम है क्या प्रेम का मतलब यही है नही यह तो व्यापार है प्रेम के नाम पर धोखा है सौदा है शोषण है ।

अपनी आकांक्षा के चलते जीवन भर वह चाहते है की वह जिस कलेश में जिए है बच्चा भी उसी कलेश में जिए

यह मानवता के किस हद को दर्शाता है ।
बेशक हम सभ्य हो गए है
पर मानवता के नाम पर एक मानव का दूसरे मानव के साथ शोषण ही है ।

जरा सा खरोंच दो सारी सभ्य पन भार में चली जाती है
भीतर का शैतान जाग जाता है ।

बाते तो बड़ी बड़ी करते है नैतिकता की बात पढ़ाते है सिर्फ छेड़ने की देरी है उनको फिर क्या आप कल्पना कर सकते हैं क्रोध उत्तेजना और क्या क्या पता नही।।

यही कारण है की हमारे अधिकतर साधु सन्यासी घर छोड़ देते है ।।

एक मनुष्य ही ऐसा व्यक्ति है जिसको पैसा की फिक्र है
इस संसार में इतने जीव जंतु रहते है क्या उनका पेट नही भरता सिर्फ मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जिसका पेट कभी भर नही सकता उनका पेट कभी भरता ही नही ।। #yogisonu