...

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meri kahani...
scene -1

प्यार हुआ इकरार हुआ,,, साथ हुए एक रिश्ता बना ...

28 सितम्बर 2022 वो तारीख है जब पहली बार उसके आने पर लगा कि अब अपना प्यार भी लाया है साथ वो...
वही रोज़ की तरह एक उदास सी सुबह हुई मेरी ,,मैं तैयार हुई और अपने काम पर निकल गई .. रास्ते में मैंने अपना नेट ऑन किया और एक msg आया,,,
hanok - hiii ,, your hanok is here ...
I miss you yrr

msg देखते ही मेरी आंखों में आसूं थे ,मेरे हाथ कांप उठा थे,,,
एक खुशी थी दिल को की मेरा इंतज़ार गलत नहीं था ,, मेरा प्यार गलत नहीं था...
मैंने उसका msg सीन करके छोड़ दिया,,, फिर दुबारा उसका msg आया,,, इतना गुस्सा मत दिखा मेरा बर्थ डे आ रहा है पार्टी दूंगा तू भी चलेगी साथ ...
ऐसे ही बात करते करते बात होने लगी ...
बातों बातों में रिश्ता बना मैं उसकी और वो मेरा बना...
उसकी बातें सब कुछ भुला देती थी,, मैं ज़िंदगी में पहली बार खुश हुई थी,,, बहुत खुश...
उसका साथ सारी परेशानियां भुला देता था... मुझे उससे वो प्यार मिलने लगा था जिसके लिए उसने तड़पाया था मुझे पहले,,
पहली मुलाकात हुई मेरी उससे इस हसीन हादसे के बाद ,जब उसने कहा मुझसे...
मुझे ये समझ आ गया है की तुझसे अच्छी लड़की मुझे नहीं मिल पाएगी... अब सिर्फ तू है तेरे लिए मैंने लड़कियों की लाईन ही हटा दी...

और मैं भगवान का शुक्रिया कर रही थी कि उन्होने हमारे बीच सब कुछ ठीक कर दिया...
वो काम में busy इंसान,,, रात में कुछ बातें किया करता था
मेरा बेचैन दिल रात होने का इंतजार करता था,,,
सुबह होती थी मेरी उसके good morning के msg से,,,
मेरी रात की नींद उसका good night का msg था...
वो कहता था हमारे बीच कोई तीसरा आए ये उसे पसंद नहीं,,,
वो खुद तीसरा शख्स बना रहता था...
करता था मनमानी अपनी ,, वक्त मुझे अपने हिसाब से दिया करता था...
खुश थे हम ,, मैं सपनों में अपना घर बना रही थी...
मैं बस उसके करीब और करीब होती जा रहीं थी...
पता भी नहीं चला और वक्त बढ़ता गया,,, हमें 8 महीने हो गए साथ में ,,, 4 साल में पहली बार हम एक साल साथ में पूरा करने वाले थे...
मैं एक एक दिन गिन रही थी,,, 28 सितंबर का इंतज़ार कर रही थी... बहुत कुछ सोचा था मैंने इस दिन के लिए,,, मैं उसे बताना चाहती थी इस दिन की मुझे कितना प्यार हैं उससे,,, मैं उसके साथ अपनी पूरी ज़िंदगी जीना चाहती हूं,,, उससे शादी करना चाहती हूं,,, सुख दुख में उसके साथ रहना है उसका साथ देना है,, उसका साया बनना हैं....
पर वक्त बदलते देर नहीं लगती ,,, जो सपनों में भी नहीं सोचा था वो हुआ,,,,
उसके घर की परेशानियां मेरा रिश्ता खा गई,,,
सबसे पहली बारी दूर जाने की मेरी आ गई...
उसने बोल दिया अब कोई साथ नहीं कोई बात नहीं होगी,,,,
मैं किसी ओर से शादी कर लूं,, उसकी जुबान पर ये बात तक आ गई,,,
मां को तकलीफ नहीं दे सकता ,,, मां के कहने से शादी कर रहा हूं,,, मां ने बोला कि शादी नहीं की तो मेरा मरा हुआ मुंह देखेगा दोनों भाई की एक घर में ही शादी होगी... ये बातें थी उसकी,,,

मां की बात आई तो ज़िद्द कैसे कर लेती ,,,
मैंने अपने प्यार को विदाई दे दी...
तड़पी,, रोई,, चीखी,, चिल्लाई,,, पर किसी को आवाज न दे पाई,,,
मैं टाइम पास नहीं थी उसकी ,,, इसका कोई सबूत न ले पाई...
वो गया ये कह कर की ज्यादा रोना मत,,,
मैं उसे गले लगा कर रो भी न पाई...
वो जो बातें थी प्यार की उसकी ,,,
उन पर हक मेरा हुआ करता था,,,,
वक्त पलटा तो मेरी कहानी में मैं ही नहीं रह पाई...
न सामने आया कभी रिश्ता हमारा,,, फिर भी बदनाम हुआ ,,,
वो भूल गया मुझे ,,, और मैं उसके नाम के साथ खिलौना कहलाई...

to be continued......
© vandana singh