Vanita
हे नारी !! तुम्हें भय कैसा
आँखों मे अश्रु और माथे पर ये लकीरें ??
तुम्हें दुख किस बात का है ??
ऐसी कौन सी पीड़ा है जो तुम्हें अंदर ही अंदर खाये जा रही ।
मैं क्या कहूँ कैसे कहूँ , मुझसे कुछ कहा भी नहीं जा रहा ।
मैं इस युग में खुद का अस्त्तित्व मिटते देख रही हूँ। मैं अबला जैसे नामों से पुकारी जा रहीं हूँ। मेरे हाथों में सजी ये हरी लाल चूड़ियाँ कमज़ोर एवं नकारे इंसान के लिए प्रयुक्त होने लगी हैं। और पैरों में सजे ये पायल बेड़ियों का रूप ले चुके हैं । मेरे अपने भी मुझे भार समझ बैठे हैं । उन्हें लगता है मैं कमजोर हूँ , मैं कुछ नहीं कर सकती । तुम्ही बताओ मैं क्या करूँ । मुझे लगता है मेरा होना सच में ही व्यर्थं है । तुम्हीं बताओं मैं कैसे बतलाऊँ उन्हें अपनी महत्ता ??
लेखिका👇
हे देवी , आप बिलकुल भी परेशान न हो और न ही खुद को कमजोर समझें । हमारे साथ जो हो रहा उसके जिम्मेदार हम ख़ुद ही हैं और हमारा मन ही हमारे साथ हो रहे उचित -अनुचित , सही गलत सबका एकमात्र कारक है ।
माना आज स्थिति ठीक नहीं है । इस पुरुष प्रधान समाज में आपको पीछे खींचने की कोशिश की जा रही है । आपको कमजोर अबला नाम से सूचित किया जा रहा लेकिन अगर देखा जाए तो ये दुनिया जिसके दम पर चल रही वह आप खुद है । आप नहीं तो इस संसार का आस्तित्व ही ख़त्म हो जाएगा । आपके बिना इस संसार का विकास क्रम ही अवरुद्ध हो जाएगा ।
आप की माहिमा तो वेदों और ग्रंथो में की गई है ।
आपकी शक्ति तो आपके लिए प्रयुक्त नामों से पता लगाई जा सकती है। उदहारण स्वरूप अगर आप महिला शब्द को ही देखें तो
मह + इल च + आ = महिला
अर्थात वह जिसका अर्थ श्रेष्ठ है और जो पूज्य है वही महिला है।
और हे देवी आप तो प्राचीन काल से ही सर्वोपरि है आपके लिए ऋगवेद में मेना...